स्वर्ण जयंती वर्ष मनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) एक विशेष राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। NABARD वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के साथ मिलकर नई दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के बारे में
- स्थापना: इनकी स्थापना 1975 में एक अध्यादेश के माध्यम से की गई थी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के तहत इन्हें और मजबूत किया गया था।
- उद्देश्य: कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण की पहुंच एवं विस्तार को सुगम बनाने हेतु सहकारी ऋण संरचना के लिए एक वैकल्पिक चैनल का निर्माण करना।
- शेयरधारिता संरचना: RRBs की शेयर पूंजी में भारत सरकार, संबंधित राज्य सरकार, और प्रायोजक बैंक का योगदान क्रमशः 50%, 15%, व 35% के अनुपात में होता है।
- लक्षित ग्राहक: ये बैंक मुख्य रूप से लघु व सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, ग्रामीण कारीगरों, तथा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रकों को ऋण एवं अग्रिम की सुविधा प्रदान करते हैं।
- विनियमन और पर्यवेक्षण: RRBs का विनियमन बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किया जाता है। NABARD इनका पर्यवेक्षण करता है।
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण: RRBs को अपने समायोजित निवल बैंक ऋण (ANBC) या क्रेडिट एक्विवैलेन्ट ऑफ़ ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (CEOBE) (जो भी अधिक हो) का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL) के रूप में वितरित करना होगा।
- विलय: डॉ. वी.एस. व्यास समिति द्वारा 2001 में की गई सिफारिशों के बाद 2005 में RRBs के समेकन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। यह कदम बेहतर अवसंरचना और कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया था।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की वर्तमान स्थिति और प्रदर्शन
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