इन रिपोर्ट्स के शीर्षक हैं: “इनसाइट्स फ्रॉम GVA ट्रेंड्स एंड स्टेट-लेवल डायनैमिक्स” तथा “इनसाइट्स फ्रॉम एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स एंड स्टेट-लेवल डायनैमिक्स”
रिपोर्ट्स के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भारत के रोजगार संक्रमण के केंद्र में सेवा क्षेत्रक
- 2023–24 में, सेवा क्षेत्रक ने 188 मिलियन कामगारों को रोजगार प्रदान किया था, और यह दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता रहा।
- 2024–25 में, सेवा क्षेत्रक का सकल मूल्य वर्धित (GVA) में लगभग 55% का योगदान रहा, जबकि प्राथमिक क्षेत्रक का 16% और द्वितीयक क्षेत्रक का 29% योगदान रहा।
- GVA में इतना अधिक योगदान देने के बावजूद, यह कुल रोजगारों के एक तिहाई से भी कम रोज़गार प्रदान करता है, उनमें भी ज़्यादातर अनौपचारिक और कम वेतन वाले होते हैं।
- रोज़गार परिदृश्य
- सेवा क्षेत्रक में पिछले 6 वर्षों में लगभग 40 मिलियन नौकरियां जोड़ी गई, जो इस मामले में निर्माण क्षेत्रक के बाद दूसरे स्थान पर रहा।
- यह क्षेत्रक श्रम के लिए एक आघात अवशोषक के रूप में कार्य करता है, लेकिन यह दो भागों में बंटा हुआ है:
- उच्च-मूल्य वाली सेवाएं (जैसे- आईटी, वित्त, स्वास्थ्य सेवाएं, और व्यावसायिक सेवाएं): ये उत्पादक हैं, लेकिन इनमें रोजगार सीमित है।
- पारंपरिक सेवाएं (जैसे- व्यापार, परिवहन आदि): ये प्रमुख नियोक्ता हैं, फिर भी अत्यधिक अनौपचारिक हैं।
- भारत का सेवा क्षेत्रक की ओर संक्रमण इसके समकक्ष देशों की तुलना में धीमा है।
- रोजगार प्रोफ़ाइल
- स्थानिक: शहरी कामगारों में 60% सेवा क्षेत्रक में हैं, जबकि ग्रामीण कामगारों में 20% से भी कम सेवा क्षेत्रक में हैं।
- जेंडर: शहरी महिलाओं में 60% सेवा क्षेत्रक में हैं, जबकि ग्रामीण महिलाओं में केवल 10.5% हैं। दोनों में पारिश्रमिक का अंतर बना हुआ है।
- आयु: यह क्षेत्रक मुख्यतः मध्यम आयु वर्ग (Prime-age) के लोगों द्वारा संचालित है। युवा वर्ग को अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
- शिक्षा: उच्चतर शिक्षा से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, लेकिन अनौपचारिकता फिर भी बनी रहती है।
- अनौपचारिकता: लगभग 87% कामगारों के पास सामाजिक सुरक्षा नहीं है; ग्रामीण महिलाओं की आय पुरुषों की तुलना में 50% से भी कम है।
परिवर्तन के लिए रोडमैप
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