ICMR-INDIAB, 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। युवा, शहरी, कामकाजी उम्र के वयस्कों में इसका प्रसार बढ़ रहा है और इसका एक कारण कार्यस्थल पर तनाव है।
कार्यस्थल पर तनाव और मधुमेह होने के बीच संबंध:
- लगातार तनाव: यह तनाव शरीर को अत्यधिक सतर्कता की स्थिति में रखता है जिससे कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
- हार्मोन स्तर बढ़ने से सामान्य ग्लूकोज चयापचय (Metabolism) प्रभावित होता है और इससे शरीर में विशेषकर पेट के आसपास वसा संचय (सेंट्रल वेट गेन) बढ़ने लगता है।
- आवागमन में अधिक समय व्यतीत होना: इससे व्यायाम और आराम के लिए समय कम मिलता है।
- नियत समय पर भोजन नहीं करना और लंबे समय तक बैठकर कार्य करना: ये आदतें पाचन तंत्र क्रिया और कैलोरी उपयोग को सीधे प्रभावित करती हैं।
- शिफ्ट वर्क (विशेषकर रात्रि पाली में कार्य करना): अनियमित नींद और भोजन के कारण इंसुलिन सेंसिटिविटी घटती है, जिससे रक्त शर्करा स्तर अस्थिर हो जाता है।
- इंसुलिन सेंसिटिविटी का अर्थ है कि हमारा शरीर इंसुलिन के प्रति कितनी प्रभावी प्रतिक्रिया देता है और रक्त शर्करा को ऊर्जा के रूप में कितनी अच्छी तरह उपयोग करता है।
मधुमेह के बारे में:
- मधुमेह एक चिरकालिक (क्रोनिक) गैर-संचारी रोग है। यह तब होता है जब—
- अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता, या
- शरीर उत्पन्न इंसुलिन का प्रभावी रूप से उपयोग नहीं कर पाता।
- इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।
मधुमेह के प्रमुख प्रकार
- टाइप 1 मधुमेह: यह स्व-प्रतिरक्षी (Autoimmune) रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिससे इंसुलिन की कमी हो जाती है।
- टाइप 2 मधुमेह: इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन-प्रतिरोधी हो जाती हैं; अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता जिससे रक्त-शर्करा स्तर बढ़ जाता है।
- गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes): यह रोग गर्भावस्था के दौरान रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाने के कारण होता है।
मधुमेह के प्रसार को कम करने के लिए सरकारी पहलें
|