भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)’ को पुनर्बहाल करने वाली याचिका पर विचार कर सकता है | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)’ को पुनर्बहाल करने वाली याचिका पर विचार कर सकता है

    Posted 27 Nov 2025

    1 min read

    हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने एक जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने पर सहमति जताई है, जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को चुनौती दी गई है। इस याचिका में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को फिर से बहाल करने की मांग की गई है।

    NJAC अधिनियम, 2014 के बारे में

    • संविधान में संशोधन: 99वें संविधान संशोधन द्वारा उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली की जगह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था।
    • संरचना: न्यायाधीशों की नियुक्तियों की सिफारिश छह सदस्यीय NJAC द्वारा की जानी थी। इस आयोग के सदस्य थे; भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय विधि मंत्री, तथा दो ‘प्रख्यात व्यक्ति’।
    • न्यायिक निर्णय: ‘फोर्थ जजेस केस’ (2015) में NJAC को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ जैसे संविधान के मूल ढांचे के उल्लंघन के आधार पर रद्द कर दिया गया।

    कॉलेजियम प्रणाली से जुड़ी चिंताएं

    • अस्पष्टता और जवाबदेही का अभाव: कॉलेजियम के निर्णय संसद या कार्यपालिका जैसे किसी अन्य बाह्य प्राधिकरण के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं।
    • सभी वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने की आलोचना: महिला न्यायाधीशों की संख्या कम होने या वंचित समुदायों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की जाती रही है।
    • संविधान में स्पष्ट प्रावधान नहीं होना: कॉलेजियम प्रणाली ‘थ्री जजेस केस’ में न्यायिक व्याख्या से विकसित हुई है। इस तरह यह इस सिद्धांत को कमजोर करती है कि देश में संस्थागत ढांचा संसद द्वारा निर्धारित होना चाहिए।
    • रिक्तियांकॉलेजियम और कार्यपालिका के बीच लगातार टकराव से न्यायाधीशों की नियुक्तियों में देरी होती है।

    निष्कर्ष

    जहाँ एक ओर कॉलेजियम प्रणाली ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ को सुरक्षित रखती है, वहीं ऊपर उल्लेख की गई चिंताएँ सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। 

    • कुछ आवश्यक रक्षोपाय प्रावधानों के साथ NJAC का पुनर्गठन किया जा सकता है अथवा कॉलेजियम प्रणाली को एक अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और पर्याप्त प्रतिनिधित्व वाली संस्था के रूप में विकसित किया जा सकता है।

    उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान प्रणाली

    • न्यायाधीशों की नियुक्तियां कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से होती हैं। इस व्यवस्था को प्रक्रिया ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) द्वारा औपचारिक रूप दिया गया है।
      • मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर एक नियम-पुस्तिका है जिसमें न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश, अनुशंसा और परामर्श की प्रक्रिया तय होती है।
    •  उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्तियां:
      • शीर्ष न्यायालय की कॉलेजियम प्रणाली में भारत के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। 
    • उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां:
      • संबंधित उच्च न्यायालय के कॉलेजियम में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उस उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होते हैं।
      • उपर्युक्त की सिफारिश पर विचार करने के लिए उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में CJI  और उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
      • भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के उन न्यायाधीशों से भी राय लेते हैं जो संबंधित उच्च न्यायालय के मामलों से परिचित होते हैं, भले वे कॉलेजियम के सदस्य न हों।
    • Tags :
    • Collegium System
    • NJAC
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features