ये विनियम भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने तैयार किए है। इनका उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए निजी निवेश को आकर्षित करना है।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण जलमार्गों के विकास के लिए एक नोडल एजेंसी है। यह एजेंसी पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
मुख्य विनियमों पर एक नजर:
- कार्यक्षेत्र: विनियमों में मौजूदा और नए दोनों तरह के टर्मिनल्स को कवर किया गया है, चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी। अस्थायी टर्मिनल्स की अवधि 5 साल होगी, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है।

- अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NoC): कोई भी कंपनी या संस्था (सरकारी या निजी) जो राष्ट्रीय जलमार्ग पर टर्मिनल बनाना या संचालित करना चाहती है, उसे प्राधिकरण (IWAI) से NoC लेनी होगी।
- टर्मिनल डेवलपर और ऑपरेटर की जिम्मेदारियां: जो भी कंपनी टर्मिनल बनाएगी या संचालित करेगी, उसे तकनीकी डिजाइन और निर्माण का ध्यान रखना होगा। यह उसके बिजनेस प्लान के अनुसार होना चाहिए तथा वहां लोगों को पर्याप्त पहुंच भी मिलनी चाहिए।
- टर्मिनल के उपयोग के लिए डिजिटल पोर्टल: ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए दक्षता, पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने हेतु प्राधिकरण द्वारा एक पोर्टल विकसित किया जाएगा।
अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने के लिए अन्य प्रमुख पहलें
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016: इस कानून के तहत अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
- 'जलवाहक' योजना: इस योजना के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा), राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) और राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (बराक) के जरिए कार्गो परिवहन करने पर 35% तक खर्च की प्रतिपूर्ति मिलती है। ये भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के अंतर्गत आते हैं।
- अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC): यह IWAI द्वारा संचालित एक उच्चस्तरीय नीतिगत मंच है। इसका उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों को विकसित करना और बढ़ावा देना है।