भारत सरकार ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर 6% इक्विलाइजेशन लेवी को खत्म करने की योजना बना रही है | Current Affairs | Vision IAS
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भारत सरकार ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर 6% इक्विलाइजेशन लेवी को खत्म करने की योजना बना रही है

Posted 26 Mar 2025

13 min read

वित्त अधिनियम, 2016 में प्रस्तावित नए संशोधनों के अनुसार ऑनलाइन विज्ञापनों पर लगने वाली इक्विलाइजेशन लेवी या डिजिटल टैक्स 1 अप्रैल, 2025 को या उसके बाद लागू नहीं होगी/ होगा।

इक्विलाइजेशन लेवी के बारे में 

  • यह वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा लागू किया गया एक प्रत्यक्ष कर है। यह उन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाई जाता है, जिनका भारत में स्थायी प्रतिष्ठान नहीं है, लेकिन वे भारत में डिजिटल लेन-देन से राजस्व अर्जित कर रही हैं। 
    • इसमें विज्ञापन से होने वाली आय को भी शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य व्यवसाय-से-व्यवसाय लेन-देन पर कर लगाना है।
  • वित्त अधिनियम, 2020 ने इस लेवी का दायरा ई-कॉमर्स आपूर्ति और सेवाओं तक बढ़ा दिया है। 

लेवी को लागू करने के कारण

  • निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा: इसका उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।
  • कर अंतराल को समाप्त करना: भारत में भौतिक रूप से उपस्थिति न होने के कारण कंपनियों को कराधान से बचने से रोकता है।
  • विदेशी डिजिटल कंपनियों पर कर लगाना: यह सुनिश्चित करता है कि विदेशी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनियां भारत की कर प्रणाली में योगदान दें।
  • राजस्व संग्रह को बढ़ाना: यह डिजिटल लेन-देन में हुई वृद्धि से राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी करने पर केंद्रित है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के कारण ऐसे लेन-देनों में तीव्र वृद्धि हुई है।

संबंधित चिंताएं

  • अमेरिका के साथ व्यापार में तनाव: फॉरेन ट्रेड बैरियर रिपोर्ट में इक्विलाइजेशन लेवी को विदेशी व्यापार में बाधा के रूप में वर्णित किया गया है।
  • प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Tariffs) का जोखिम: अन्य देश जवाबी उपाय लागू कर सकते हैं। इससे विदेशों में काम करने वाली भारतीय कंपनियां नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगी।
  • दोहरा कराधान और अनुपालन बोझ: विदेशी कंपनियों को दोहरे कराधान का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है।

इक्विलाइजेशन लेवी के अंतर्गत आने वाले लेन-देन

  • ऑनलाइन विज्ञापन सेवाएं: विदेशी (नॉन-रेजिडेंट) कंपनियों को भुगतान किए गए प्रतिफल पर 6% की दर से इक्विलाइजेशन लेवी लगाई जाती है।
    • डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र, ऑनलाइन विज्ञापन और संबंधित सुविधाओं एवं सेवाओं पर लागू होती है।
  • वस्तुओं या सेवाओं की ई-कॉमर्स आपूर्ति (1 अगस्त, 2024 को समाप्त): विदेशी (नॉन-रेजिडेंट) ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा अर्जित राजस्व पर 2% की दर से लगाया जाता है।
  • शर्त: चूंकि लेवी को आयकर अधिनियम के हिस्से के रूप में पेश नहीं किया गया था। इसलिए, भारत में इक्विलाइजेशन लेवी का भुगतान करने वाली वैश्विक कंपनियां दोहरे कराधान बचाव समझौतों के तहत अपने मूल देश में टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकती हैं।
  • Tags :
  • इक्विलाइजेशन लेवी
  • वित्त अधिनियम, 2020
  • प्रतिशोधात्मक शुल्क
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