UN-FAO द्वारा जारी "खाद्य और कृषि के लिए विश्व पादप आनुवंशिक संसाधन स्थिति" पर तीसरी रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक फसल उत्पादन का आधे से अधिक हिस्सा केवल 9 फसलों पर निर्भर है। ये फसलें हैं- गन्ना, मक्का, चावल, गेहूं, आलू, सोयाबीन, ऑयल पाम, चुकंदर (शुगर बीट) और कसावा।
फसल विविधता पर रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिंदु

- पादप विविधता में कमी: प्रजाति और किस्म के स्तर पर फसल विविधता की जगह अब कृषि बाजार में एकल फसल का प्रसार बढ़ रहा है।
- उच्च इनपुट उत्पादन, औद्योगिक प्रसंस्करण और सख्त बाजार मानकों को पूरा करने हेतु फसल किस्मों को विकसित किया जाता है। इन सबका उद्देश्य वाणिज्यिक उत्पादन प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
- किसानों की पारंपरिक फसल किस्मों और स्थानीय प्रजातियों (FV/LR) का नुकसान:
- रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी अफ्रीका में फसल जैव विविधता को सबसे अधिक खतरा है। इसके बाद कैरेबियाई और पश्चिमी एशिया का स्थान है।
- दक्षिण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पादप आनुवंशिक विविधता को सबसे कम नुकसान पहुंचा है।
- पादप विविधता का खेत में ही संरक्षण:
- भारत के पांच कृषि-पर्यावरणीय क्षेत्रों में 50% से अधिक पारंपरिक पादप प्रजातियों (FV/LR) को संकटग्रस्त माना गया है, जिन्हें तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है।
- पादप आनुवंशिक विविधता के बाह्य-स्थाने संरक्षण (Ex-Situ Conservation) के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियां हैं:
- वित्तीय सहायता निरंतर प्राप्त नहीं होना,
- प्रशिक्षित कर्मियों एवं राजनीतिक समर्थन की कमी, तथा
- मजबूत अवसंरचनाओं की कमी।
फसल/ पादप विविधता बढ़ाने हेतु सिफारिशें:
- बीज नीति: विविध फसल प्रणाली का समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय बीज नीतियां बनानी चाहिए।
- सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक से वित्तीय सहायता बढ़ाना: खाद्य और कृषि के लिए पादपों के आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने हेतु अधिक निवेश की जरुरत है।
- डेटा साझाकरण और मानकीकरण में सुधार: अनुसंधान दक्षता बढ़ाने के लिए डेटा आदान-प्रदान बढ़ाने की आवश्यकता है।
- आधुनिक जैव प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना: फसलों की उन्नत ब्रीडिंग हेतु आधुनिक तकनीकों का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
फसल विविधता संरक्षण के लिए किए गए प्रयास:
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