इस रिपोर्ट में शिक्षा और पोषण के बीच के आपसी संबंध को दर्शाया गया है। यह रिपोर्ट फ्रांस द्वारा आयोजित ‘न्यूट्रिशन फॉर ग्रोथ’ शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रकाशित की गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार पोषण और शिक्षा के बीच पूरक संबंध
- पोषण का शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए- समेकित बाल विकास योजना के कारण सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की दर 9% और विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने की दर 11% बढ़ी है।
- बच्चों को स्कूल में भोजन दिए जाने से नामांकन, उपस्थिति और सीखने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए- महाराष्ट्र राज्य में बायो-फोर्टिफाइड बाजरे के सेवन से किशोर/ किशोरियों की एकाग्रता क्षमता एवं स्मरण शक्ति में सुधार हुआ है।
- पोषण का लैंगिक समानता और न्याय पर प्रभाव: भारत में, पीएम-पोषण (PM-POSHAN) कार्यक्रम ने बालिकाओं और अन्य वंचित वर्गों के बच्चों के नामांकन में वृद्धि की है।
- शिक्षा का पोषण पर प्रभाव: अंतर-पीढ़ीगत और व्यक्तिगत विकल्पों के माध्यम से प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए- शिक्षित माताओं की पसंद और व्यक्तिगत स्थिति स्वास्थ्य एवं पोषण को प्रभावित करती है।
सिफारिशें:
- पोषण शिक्षा में बदलाव: बाल शिक्षा से लेकर वयस्क शिक्षा तक स्कूली पाठ्यक्रम में खाद्य शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए।
- स्कूलों को प्रयासों के केंद्र में रखना: एक समग्र विद्यालय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, जिसमें स्कूली भोजन, पोषण शिक्षा, शारीरिक गतिविधियां और पाठ्येतर पहलें आदि शामिल होनी चाहिए।
- शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से पेशेवर क्षमता का निर्माण करना: यह कदम सभी स्तरों पर ज्ञान एवं कौशल में मौजूद अंतराल को खत्म करने में मदद कर सकता है।
- शिक्षा और पोषण के बीच संबंधों की निगरानी करना: स्कूली भोजन एवं संबंधित स्वास्थ्य व पोषण कार्यक्रमों की निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाया जाना चाहिए।