सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि रोहिंग्या विदेशी हैं और उनके साथ विदेशी विषयक अधिनियम (Foreigners' Act) के अनुसार व्यवहार किया जा सकता है | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि रोहिंग्या विदेशी हैं और उनके साथ विदेशी विषयक अधिनियम (Foreigners' Act) के अनुसार व्यवहार किया जा सकता है

Posted 09 May 2025

11 min read

सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन और जीवन-यापन स्थितियों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि वे संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR)-कार्ड के आधार पर राहत का दावा नहीं कर सकते।

  • UNHCR शरणार्थियों, जबरन विस्थापित समुदायों और राज्य-विहीन लोगों की रक्षा करने वाला एक वैश्विक संगठन है।
    • गौरतलब है कि भारत ने “शरणार्थी कन्वेंशन 1951” और इसके ‘प्रोटोकॉल 1967’ पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

शरणार्थियों और निर्वासन से संबंधित भारत के वैधानिक प्रावधान

  • भारत में ‘शरणार्थियों’ से संबंधित मुद्दे से निपटने के लिए कोई अलग कानून नहीं है। इसलिए शरणार्थी के ‘दर्जे’ से जुड़े पहलुओं को अलग-अलग मामलों के आधार पर निपटा जाता है। इसमें द्विपक्षीय नीति को ध्यान में रखा जाता है।
    • भारत में शरणार्थी 'विदेशी' (Alien) और 'विदेशी नागरिक'  (Foreigners) की परिभाषा में आते हैं।
  • विदेशी विषयक अधिनियम, 1946: इस अधिनियम की धारा 3 केंद्र सरकार को देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को हिरासत में लेने और निर्वासित करने की शक्ति प्रदान करती है।
  • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920: केंद्र सरकार किसी भी ऐसे विदेशी नागरिक को भारत से बाहर निकाल सकती है, जो बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत में प्रवेश करता है।
    • संविधान के अनुच्छेद 258(1) और 239(1) के अनुसार, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को भी उपर्युक्त अधिकार सौंपे गए हैं।

अन्य प्रावधान

  • भारत ने “शरणार्थियों की स्थिति और उनके साथ व्यवहार पर बैंकॉक सिद्धांत” में निहित गैर-निर्वासन यानी “नॉन-रिफाउलमेंट” के सिद्धांत को स्वीकार किया है।
    • नॉन-रिफाउलमेंट का सिद्धांत शरण मांगने वाले किसी व्यक्ति को ऐसी अथॉरिटी को सौंपने से रोकता है, जहां यह विश्वास करने के पर्याप्त कारण हों कि उस व्यक्ति के मूल अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
  • मोहम्मद सलीमुल्लाह व अन्य बनाम भारत सरकार व अन्य (2021): सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के अंतर्गत मूल अधिकार सभी व्यक्तियों (विदेशी नागरिक सहित) को प्राप्त हैं। हालांकि, निर्वासित न किए जाने के अधिकार को अनुच्छेद 19(1)(e) के अंतर्गत रहने या बसने के अधिकार के सहायक या सह-प्राप्त अधिकार के रूप में देखा जाता है।
  • Tags :
  • विदेशी विषयक अधिनियम
  • शरणार्थी कन्वेंशन 1951
  • प्रोटोकॉल 1967
  • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम
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