अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
भारत की इस आर्थिक उपलब्धि के मुख्य कारक:
- संरचनात्मक कारक:
- शहरीकरण और लोगों की बढ़ती आकांक्षाएं: इनके कारण प्रति व्यक्ति आय और जीवन-शैली से संबंधित दैनिक उपभोग में वृद्धि हो रही है।

- जनसांख्यिकीय लाभांश: भारतीयों की वर्तमान औसत आयु लगभग 29 वर्ष है।
- घरेलू मांग में वृद्धि: निजी उपभोग, भारत की GDP में लगभग 70% का योगदान देता है, आदि।
- नीतिगत कारक:
- कराधान और व्यापार से संबंधित सुधार: जैसे - वस्तु एवं सेवा कर (GST), इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, आदि।
- अवसंरचना निर्माण पर बल देना: जैसे - राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, पी.एम. गति शक्ति, आदि।
- आत्मनिर्भर भारत, उत्पादन-से-सम्बद्ध प्रोत्साहन योजना, आदि जैसी प्रमुख नीतिगत पहलें।
- तकनीकी कारक:
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: जैसे- UPI, जैम ट्रिनिटी, आदि।
- भारतीय आई.टी., सॉफ्टवेयर निर्यात और परामर्श सेवाओं के लिए मजबूत वैश्विक मांग, आदि।
- बाह्य और वैश्विक कारक: FDI अंतर्वाह में वृद्धि तथा ‘चाइना प्लस वन’ और सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव जैसी रणनीतियों के जरिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का पुनर्संतुलन, आदि।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य की संभावनाएं
भारत अगले 2.5 से 3 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, जिसके लिए निम्नलिखित प्रमुख कारक उत्तरदायी हैं:
- एनर्जी ट्रांजिशन: नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तीव्र वृद्धि (2030 तक 500 GW का लक्ष्य) और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका इसे हरित विकास के अग्रणी देश के रूप में स्थापित करती है।
- विनियामकीय स्थिरता: बैंकिंग क्षेत्रक में सुधार (जैसे- बैंक पुनर्पूंजीकरण) और RBI जैसे मजबूत विनियामक संस्थान की मौजूदगी भारत की समग्र आर्थिक स्थिरता को मजबूती प्रदान करती है।