भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है। इसकी वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8% हिस्सेदारी है।
भारत में मात्स्यिकी क्षेत्रक की स्थिति
- राज्य सूची में शामिल: मात्स्यिकी राज्य सूची का विषय है। हालांकि, केंद्र सरकार इस क्षेत्रक के विकास के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मदद करती है।
- जिम्मेदारी का बंटवारा:
- आंतरिक मात्स्यिकी पूरी तरह से राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है।
- समुद्री मात्स्यिकी की जिम्मेदारी केंद्र और तटीय राज्य सरकारों के बीच बंटी हुई है।
- उत्पादन: भारत के कुल मत्स्य उत्पादन का लगभग 75% हिस्सा आंतरिक मात्स्यिकी से आता है।
- आर्थिक महत्व:
- यह देश के राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धित (GVA) में लगभग 1.12% का योगदान देता है।
- कृषि GVA में इसका योगदान 7.26% है।
- रोजगार: इस क्षेत्रक की आपूर्ति श्रृंखला से लगभग 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त है।
- बजट में समर्थन: 2025-26 के केंद्रीय बजट में मात्स्यिकी क्षेत्रक के लिए अब तक का सबसे ज्यादा बजट आवंटित किया गया है।
मात्स्यिकी क्षेत्रक के समक्ष चुनौतियां
- पर्यावरण संबंधी: अत्यधिक मत्स्यन; प्राकृतिक पर्यावासों का विनाश और जलवायु परिवर्तन।
- आर्थिक: बाज़ार में उतार-चढ़ाव; अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन की समस्या और बाजार तक सीमित पहुंच।
- सामाजिक: खाद्य सुरक्षा, लैंगिक असमानता और समुदायों का विस्थापन।
- अन्य: अवसंरचना की कमी; संसाधनों के प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं और आधुनिक तकनीकों को अपनाने की ज़रूरत।
सरकार द्वारा शुरू की गई पहलें
- प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY):
- इसके तहत प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना जैसी उप-योजनाएं शुरू की गई हैं। यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- PMMSY के तहत एक्वाकल्चर पार्क भी स्थापित किए जा रहे हैं।
- नीली क्रांति योजना; मात्स्यिकी और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) आदि।
- डेटा-आधारित नीतियां बनाने के लिए 5वीं समुद्री मात्स्यिकी गणना।
- क्षेत्रीय सहयोग: भारत ने बंगाल की खाड़ी में अवैध, असूचित और अविनियमित मत्स्यन (IUU) गतिविधियों को रोकने के लिए बांग्लादेश, श्रीलंका एवं मालदीव के साथ मिलकर IUU मत्स्यन पर क्षेत्रीय कार्य योजना का समर्थन किया है।