यह उपलब्धि 2023 में शुरू किए गए “डिजी केरलम” कार्यक्रम के माध्यम से हासिल हुई है। इस का उद्देश्य सभी आयु वर्ग के नागरिकों तक डिजिटल क्रांति और ई-सेवाएं पहुंचाना है।
- यह केरल के अक्षय प्रोजेक्ट पर आधारित है, जिसने मलप्पुरम को भारत का पहला ई-साक्षर जिला बनाया था।
डिजिटल साक्षरता के बारे में
- यह "व्यक्तियों और समुदायों द्वारा अपने रोजमर्रा के कार्यों को करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों को समझने तथा उनका उपयोग करने की क्षमता" को संदर्भित करती है।
- डिजिटल रूप से साक्षर परिवार का अर्थ है कि परिवार का कम-से-कम एक सदस्य (5 वर्ष या उससे अधिक आयु) कंप्यूटर चला सकता है और इंटरनेट का उपयोग कर सकता है।
सामाजिक-आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव
- सरकारी कार्यकुशलता में सुधार: किसान कॉल सेंटर्स और कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) जैसी परियोजनाएं सेवाओं के वितरण की पारदर्शिता एवं गति बढ़ाती हैं।
- ग्लोबल कनेक्टिविटी: यह वैश्विक स्तर पर जानकारी को हासिल करने; बेहतर निर्णय लेने और सामाजिक जीवन व पारिवारिक संबंधों में सुधार में मदद करती है।
- लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी: यह नागरिकों को शासन में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है।
- वित्तीय समावेशन में तेजी: यह प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) और इंट्रीग्रेटेड पेमेंट इंटरफेस (UPI) जैसी योजनाओं को तेजी से लागू करने में मदद करती है।
- यह विकसित हो रही डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए बुनियादी ICT कौशल प्रदान करती है और आजीविका के अवसरों को बढ़ाती है।
भारत में डिजिटल साक्षरता से संबंधित चिंताएं
- इंटरनेट का नैतिक उपयोग: इंटरनेट के अनुचित उपयोग से फर्जी खबरें फैल सकती हैं, जिससे सामाजिक अशांति, सांप्रदायिक दंगे, कट्टरता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा: व्यक्तियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा जैसे कि यूजर ID, पासवर्ड या OTP को साझा नहीं करना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
- साइबर सुरक्षा के खतरे: साइबर सुरक्षा "सबसे बड़ी चुनौती" बन गई है, जिसके लिए दूर बैठे शत्रुओं द्वारा किए जाने वाले साइबर हमलों के खिलाफ निरंतर सतर्कता की आवश्यकता होती है।
भारत में प्रथम डिजिटल साक्षर राज्य के रूप में केरल की उपलब्धि समावेशी डिजिटल रूपांतरण के लिए एक सफल मॉडल को दर्शाती है।