हालिया PLFS डेटा के अनुसार, महिला कार्यबल भागीदारी दर (WPR) 2017-18 की 22% से बढ़कर 2023-24 में 40.3% हो गई।
- इसी अवधि में बेरोजगारी दर 5.6 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिला रोजगार में 96% और शहरी क्षेत्रों में 43% की वृद्धि हुई है।
- महिला-नेतृत्व वाली उद्यमिता
- स्व-रोजगार में वृद्धि: महिला स्व-रोजगार 2017-18 के 51.9% से बढ़कर 2023-24 में 67.4% हो गया। यह महिला स्व-रोजगार में 30% की वृद्धि को दर्शाता है।
- स्टार्ट-अप्स: लगभग 50% DPIIT-पंजीकृत स्टार्ट-अप्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक है।
- वित्त की उपलब्धता: कुल मुद्रा ऋणों में से 68% महिलाओं को प्राप्त हुए तथा पीएम स्वनिधि लाभार्थियों में 44% महिलाएं हैं, जिससे वित्तीय समावेशन एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs): महिलाओं के नेतृत्व वाले MSMEs की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। यह 2010-11 में 1 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 1.92 करोड़ हो गई है। इससे महिलाओं के लिए 89 लाख से अधिक रोजगार उत्पन्न हुए हैं।
- पिछले दशक में जेंडर बजट में 429% की वृद्धि हुई है, जो महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर एक आदर्श बदलाव को दर्शाता है।
- 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्यबल में 70% महिला भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
महिलाओं का विकास बनाम महिलाओं के नेतृत्व में विकास
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