S&P ने भारत की लंबी अवधि की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 'BBB-' से 'BBB' और छोटी अवधि की रेटिंग को 'A-3' से 'A-2' कर दिया है, जिसमें आउटलुक स्थिर (Stable) है।
- यह 2007 के बाद भारत के लिए S&P द्वारा पहला सॉवरेन अपग्रेड है। 2007 में, भारत को BBB- के इन्वेस्टमेंट-ग्रेड में अपग्रेड किया गया था।
- यह अपग्रेड भारत की अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्धता; सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता और मजबूत कॉर्पोरेट, वित्तीय और बाहरी बैलेंस शीट को दर्शाता है।
सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (SCR) के बारे में
- यह क्या है: यह दरअसल किसी देश या संप्रभु संस्था के ऋण और उस पर ब्याज चुकाने के दायित्व को समय पर पूरा करने का आकलन है। इसमें संबंधित देश या संस्था की ऋण चुकाने की क्षमता और इच्छाशक्ति, दोनों को महत्त्व दिया जाता है।
- प्रमुख SCR एजेंसियां: S&P, Fitch और Moody’s.
- रेटिंग ग्रेड: SCR में मोटे तौर पर देशों को इन्वेस्टमेंट-ग्रेड या स्पेक्युलेटिव-ग्रेड में रेट किया जाता है। स्पेक्युलेटिव-ग्रेड वाले देशों पर कर्ज चुकाने में चूक (Default) का जोखिम ज़्यादा होता है।
- इन्वेस्टमेंट-ग्रेड रेटिंग: S&P और Fitch के लिए यह BBB- से AAA तक होती है, जबकि Moody's के लिए यह Baa3 से Aaa तक होती है।
- महत्त्व: उच्च रेटिंग से वैश्विक पूंजी बाजारों से उधार लेने में मदद मिलती है; उच्च रेटिंग से विदेशी निवेश आकर्षित होता है, और कर्ज लेने की लागत कम होती है।
- मुद्दे: रेटिंग प्रक्रियाओं में पक्षपात, हितों का टकराव और रेटिंग सीलिंग को लेकर चिंताएं हैं।
- रेटिंग सीलिंग: यह इस विचार से संबंधित है कि किसी कॉर्पोरेट संस्था को उस देश की तुलना में उच्चतर रेटिंग नहीं दी जाती जिसमें वह स्थित है। इससे उस देश के घरेलू बाजार के विकास में बाधा आ सकती है।