भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह निर्णय बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35A के तहत लिया है।
‘रिजर्व बैंक - एकीकृत ओम्बड्समैन योजना (RB-IOS), 2021’ के बारे में
- उद्देश्य: विनियमित संस्थाओं (REs) के ग्राहकों को त्वरित, किफायती और सक्षम वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करना।
- कवरेज: RBI की नई घोषणा से पहले इस योजना के दायरे में निम्नलिखित संस्थाएं शामिल रही हैं-
- सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, तथा 50 करोड़ रुपये की जमा-राशि वाले गैर-अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक।
- ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को छोड़कर) जो जमा राशि स्वीकार करती हों या कस्टमर इंटरफ़ेस रखने के लिए अधिकृत हों, और जिनकी परिसंपत्ति का आकार 100 करोड़ रुपये है।
- सभी सिस्टम पार्टिसिपेंट्स-इसमें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत भुगतान प्रणाली में भाग लेने वाले सिस्टम प्रोवाइडर शामिल हैं।
- क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी।
- यह योजना RBI की निम्नलिखित तीन ओम्बड्समैन योजनाओं को एकीकृत करती है:
- बैंकिंग ओम्बड्समैन योजना, 2006;
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए ओम्बड्समैन योजना, 2018; और
- डिजिटल लेनदेन के लिए ओम्बड्समैन योजना, 2019.
- यह योजना "एक देश, एक ओम्बड्समैन" के सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब है कि अब RBI द्वारा विनियमित अलग-अलग क्षेत्रकों की संस्थाओं के लिए अलग-अलग शिकायत निवारण प्रणाली नहीं होगी।
- शक्ति: ओम्बड्समैन 20 लाख रुपये तक का मुआवजा का आदेश दे सकता है। साथ ही, वह शिकायतकर्ता के समय, खर्च और किसी भी मानसिक परेशानी या उत्पीड़न के एवज में 1 लाख रुपये तक का अतिरिक्त मुआवजा के भुगतान का आदेश भी दे सकता है।