यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा वर्ल्ड हेल्थ समिट, बर्लिन में जारी की गई थी।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- गैर-संचारी रोगों (NCDs) में बढ़ोतरी: 1990 से 2023 के बीच NCDs ने भारत में मृत्यु के प्रमुख कारणों के रूप में संक्रामक रोगों को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, कोविड-19 महामारी एक अपवाद है।
- बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, टीकाकरण और स्वच्छता के कारण संक्रामक रोगों में गिरावट आई है।
- मानसिक स्वास्थ्य: 2013 से 2023 के बीच चिंता और अवसाद सहित मानसिक स्वास्थ्य विकारों में तीव्र वृद्धि देखी गई है।
- प्रमुख जोखिम कारक: वायु प्रदूषण भारत में समय से पहले होने वाली मृत्यु एवं दिव्यांगता के शीर्ष तीन कारणों में से एक बना हुआ है।
गैर-संचारी रोगों (NCDs) के बारे में
- NCDs, जिन्हें चिरकालिक रोग भी कहा जाता है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं। उदाहरण के लिए- हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह आदि।
- NCDs लंबी अवधि के होते हैं और आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरणीय एवं व्यवहारिक कारकों के चलते होते हैं।
- वर्तमान में विश्व की कुल मृत्यु दर और रुग्णता में NCDs का लगभग दो-तिहाई योगदान है।
भारत में गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए शुरू की गई पहलें
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