मानव अंग दाता और प्राप्तकर्ता के लिए एकीकृत राष्ट्रीय डाटाबेस न होने से राज्यों में अंग-प्रत्यारोपण की प्रक्रिया धीमी हो रही थी। इसी परिप्रेक्ष्य में शीर्ष न्यायालय का निर्देश आया है।
- अंग प्रत्यारोपण एक प्रकार की शल्य-चिकित्सा प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में मानव के किसी विफल या क्षतिग्रस्त अंग को दाता के स्वस्थ अंग से बदल दिया जाता है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुख्य बिंदु
- एक-समान राष्ट्रीय नीति बनाना: अंगदान पर ऐसी नीति बनाई जाए जिसमें दाता के अंग को उचित क्रम में प्रतीक्षारत व्यक्ति में प्रत्यारोपण के लिए स्पष्ट मानदंड हों।
- साथ ही, प्रत्यारोपण हेतु अंग प्राप्तकर्ता के निर्धारण में लैंगिक और जाति आधारित भेदभाव नहीं हो, तथा इस मामले में राज्यों के बीच की असमानताएं दूर की जाए।
- राज्य में संस्थाएं: उच्चतम न्यायालय ने पाया कि मणिपुर, नागालैंड, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में अभी तक राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTO) का गठन नहीं किया गया है। इसलिए न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से परामर्श करके राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP) के तहत इन संस्थाओं का गठन करे।
- जीवित दाता: जीवित दाताओं यानी अंगदान करने वाले स्वस्थ व्यक्तियों के कल्याण और अंगदान के बाद उनकी देखभाल के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। साथ ही, जीवित व्यक्तियों के अंगदान के व्यवसायीकरण और शोषण को रोकने के उपाय किए जाएं।
- मृत्यु पंजीकरण आवेदन में संशोधन: राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) से सलाह करके यह संशोधन किया जाएगा। संशोधन के तहत आवेदन में यह उल्लेख जोड़ा जाए कि “क्या मृतक के परिजनों को मृतक के अंगदान का विकल्प दिया गया था या नहीं।”
भारत में मानव-अंग प्रत्यारोपण
- वैधानिक प्रावधान: मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 लागू किया गया है। इस अधिनियम में 2011 में संशोधन किए गए थे।
- राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO): इसका गठन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया गया है। यह राष्ट्रीय स्तर की संस्था है। यह संस्था प्रत्यारोपण के उद्देश्य से मानव अंग, उत्तक, इत्यादि की प्राप्ति और आवंटन में समन्वय और संपर्क का कार्य करती है।
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP): इसका उद्देश्य विशेष रूप से मृत-दाताओं से अंग एवं ऊतक प्राप्ति/संग्रह का एक प्रभावी तंत्र तैयार करना है।