सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, वियतनाम के प्रधान मंत्री ने भारत की राजकीय यात्रा की।
अन्य संबंधित तथ्य

- यात्रा के मुख्य आउटकम्स पर एक नज़र:
- प्लान ऑफ एक्शन या कार्य योजना (2024-2028): दोनों देशों ने 2024-2028 की अवधि के दौरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी को लागू करने के लिए एक कार्य योजना को अपनाया।
- लाइन ऑफ क्रेडिट या ऋण सहायता (Line of Credit): भारत ने वियतनाम की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए क्रेडिट लाइन को बढ़ाकर 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है।
- सांस्कृतिक सहयोग: यूनेस्को विश्व विरासत स्थल "माई सन" मंदिर परिसर के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
- समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर (MoUs Signed): रेडियो और टेलीविजन क्षेत्रक में सहयोग तथा गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास के लिए MoUs पर हस्ताक्षर किए गए।
- अन्य घोषणाएं:
- वियतनाम के न्हा ट्रांग में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया गया।
- वियतनाम आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में शामिल होगा।
भारत-वियतनाम संबंध
- पृष्ठभूमि: भारत ने फ्रांस से वियतनाम की स्वतंत्रता का समर्थन किया था। 1960 के दशक में वियतनाम में अमेरिका के हस्तक्षेप पर आपत्ति प्रकट की थी। इसके अलावा, भारत वियतनाम-अमेरिका युद्ध के बाद 1975 में एकीकृत वियतनाम को मान्यता देने वाले विश्व के पहले देशों में से एक था।
- रणनीतिक साझेदारी: दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को 2007 में 'रणनीतिक साझेदारी' और 2016 में 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर पर ले जाया गया।
- दोनों देशों के बीच वर्तमान सहयोग शांति, समृद्धि और लोगों के लिए संयुक्त दृष्टिकोण 2020 द्वारा निर्देशित है।
- आर्थिक सहयोग: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और वियतनाम के बीच 14.82 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
- वियतनाम भारत का 23वां सबसे बड़ा वैश्विक व्यापार साझेदार है और आसियान देशों में 5वां सबसे बड़ा वैश्विक व्यापार साझेदार है।
- रक्षा सहयोग: दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बहुआयामी स्तर का है। इसमें रक्षा वार्ता, प्रशिक्षण, सैन्य अभ्यास (PASSEX, VINBAX और MILAN), क्षमता निर्माण में सहयोग तथा नौसेना एवं तटरक्षक जहाजों के दौरे शामिल हैं।
- 2022 में, दोनों देशों ने"2030 तक भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त विज़न वक्तव्य" और पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
- आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में सहभागिता: वियतनाम के साथ साझेदारी भारत को एक विश्वसनीय, दक्ष एवं लचीली क्षेत्रीय व वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में भाग लेने में मदद कर सकती है।
- यूरोपीय संघ के साथ वियतनाम के मुक्त व्यापार समझौते ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था में इसकी भूमिका को और बढ़ा दिया है।
- सांस्कृतिक: भारत और वियतनाम 2,000 वर्षों से अधिक पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच उनकी साझी बौद्ध विरासत के माध्यम से एक मजबूत संबंध विकसित हुआ है।
भारत के लिए वियतनाम का महत्त्व
- भू-सामरिक अवस्थिति: सुरक्षित एवं स्थिर समुद्री व्यापार मार्गों को बनाए रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम की अवस्थिति काफी महत्वपूर्ण है।
- चीन को प्रतिसंतुलित करना: भारत लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के दावे का विरोध करता है, जबकि वियतनाम दक्षिण चीन सागर में पारसेल और स्प्रैटली द्वीपों पर चीनी दावों का विरोध करता है।
- वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन की एकतरफा कार्रवाइयों के खिलाफ दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे मुखर विरोधियों में से एक बना हुआ है।
- ऊर्जा सुरक्षा: भारतीय कंपनियों ने दक्षिण चीन सागर में हाइड्रोकार्बन भंडारों से समृद्ध वियतनामी जल क्षेत्रों में तेल और गैस अन्वेषण परियोजनाओं में निवेश किया है।
- वियतनाम से हाइड्रोकार्बन की निरंतर आपूर्ति से भारत में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
- एक्ट ईस्ट नीति: वियतनाम आसियान में भारत का एक प्रमुख भागीदार है तथा भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विज़न में भी एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन: वियतनाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का पुरजोर समर्थन करता है।
भारत-वियतनाम संबंधों में चुनौतियां
- चीन को प्रतिसंतुलित करना: चीन के अन्य पड़ोसी देशों की तरह वियतनाम भी चीन की हरकतों से सावधान रहता है। इसके परिणामस्वरूप, वह भारत के साथ सैन्य संबंधों को गहरा करने का अनिच्छुक है।
- दक्षिण चीन सागर पर चीनी दावे इस क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन की खोज के भारत के प्रयासों को खतरे में डाल सकते हैं।
- दोनों देशों के बीच बहुत कम व्यापार: भारत-वियतनाम के बीच व्यापार में वृद्धि के बावजूद यह चीन एवं अमेरिका की तुलना में बहुत मामूली स्तर पर है, क्योंकि चीन के साथ वियतनाम का व्यापार लगभग 100 बिलियन डॉलर का है। इसी प्रकार, अमेरिका-वियतनाम के बीच लगभग 142 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है।
- चीन से ट्रेड रूटिंग: आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि मैक्सिको और वियतनाम जैसे देशों के माध्यम से व्यापार में वृद्धि चीनी फर्मों द्वारा अपनी आपूर्ति को इन देशों में री-रूट करने के परिणामस्वरूप हुई है।
- सैन्य समझौतों में अनिच्छा: सैन्य उपकरण खरीद के लिए भारत की ऋण सहायता (line of credit) के बावजूद, वियतनाम इसका पूर्ण उपयोग करने में हिचकिचा रहा है। साथ ही, उसने सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल खरीदने में भी अनिच्छा प्रकट की है।
- सांस्कृतिक अंतर: दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक, रीति-रिवाज संबंधी और भाषाई अंतर काफी अधिक है।
वियतनाम के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
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आगे की राह
- आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना: संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देना, भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाना, ई-कॉमर्स को प्रोत्साहित करना, क्षेत्रीय व्यापार संरचना को बेहतर बनाना और पारस्परिक रूप से बड़े बाजरों तक पहुंच प्रदान करना, आदि।
- कनेक्टिविटी संबंधी कमियों का समाधान करना: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को पहले से मौजूद सड़कों से जोड़ा जा सकता है, जैसे कि थाईलैंड को वियतनाम के दा नांग बंदरगाह से जोड़ने वाली सड़क।
- सांस्कृतिक सहयोग को गहरा करना: दोनों देशों की जनता के बीच आपसी सहयोग एवं आवाजाही को और मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि दोनों देशों के बीच काफी सद्भावना है, जिसका लाभ उठाया जा सकता है।
- समान हितों को साकार करना: भारत और वियतनाम भौगोलिक दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के केंद्र में स्थित हैं।
- दोनों देश इस रणनीतिक व सामरिक क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाएंगे, जो प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच शक्ति प्रदर्शन और प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा का प्रमुख क्षेत्र बनता जा रहा है।