भारत-मध्य एवं पूर्वी यूरोप संबंध (India-Central and Eastern Europe Relations) | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत-मध्य एवं पूर्वी यूरोप संबंध (India-Central and Eastern Europe Relations)

    Posted 30 Oct 2024

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने पोलैंड की यात्रा की। प्रधान मंत्री यह यात्रा भारत की विदेश नीति में मध्य एवं पूर्वी यूरोप के महत्त्व को बढ़ाने की दिशा में रणनीतिक बदलाव को इंगित करती है।

    भारत और मध्य व पूर्वी यूरोप के बीच संबंधों का महत्त्व

    • सामरिक अवस्थिति: मध्य एवं पूर्वी यूरोप, यूरोप और एशिया के संगम बिंदु पर स्थित है, जो कि रूस व मध्य-पूर्व (Middle East) के बीच एक सामरिक स्थान है।
      • ये देश यूरोप में भारतीय वस्तुओं के निर्यात के लिए मुख्य द्वार के रूप में कार्य कर सकते हैं।
    • इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को नियंत्रित करना: ज्ञातव्य है कि 16+1 पहल तथा बेल्ट एंड रोड (BRI) इनिशिएटिव के माध्यम से यूरोप में किए जा रहे चीनी निवेश को यूरोपीय संघ बहुत ज्यादा अपने हित में नहीं मान रहा है। यूरोपीय संघ चीन के इस प्रयास को यूरोपीय संघ के भीतर मतभेद पैदा करने का प्रयास मानता है।  
      • 16+1 पहल चीन द्वारा मध्य एवं पूर्वी यूरोप के 16 देशों के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई एक इनिशिएटिव है।
      • यूरोपीय संघ चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव को देखते हुए भारत को एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में देखता है।
    • बहुपक्षवाद में सुधार: कई पूर्वी यूरोपीय देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे के प्रति स्पष्ट समर्थन व्यक्त किया है।
      • उदाहरण के लिए- विसेग्राद समूह (V4 देश) अर्थात् चेक गणराज्य, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया ने भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता के लिए भी समर्थन किया है।
    • वैश्विक शक्ति के रूप में उदय: भारत स्वयं को एक अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है, जिसका प्रभाव दक्षिण एशियाई पड़ोस से कहीं आगे तक होगा।

    मध्य एवं पूर्वी यूरोप तक भारत की पहुंच

    • रणनीतिक संलग्नता: भारत ने मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय (CEE) देशों के साथ अपने राजनयिक एवं आर्थिक संबंधों को बेहतर बनाया है।
    • आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध: पोलैंड मध्य एवं पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक एवं निवेश साझेदार है। 2023 में दोनों देशों के बीच 6 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
    • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) समझौता: G-20 शिखर सम्मेलन (2023) के दौरान घोषित इस समझौते का उद्देश्य एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व को आपस में जोड़ना है।
    • सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध: भारत मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत का लाभ उठा रहा है।
      • पोलैंड में भारतीय इतिहास, साहित्य, दर्शन एवं संस्कृति के अध्ययन की बेहतरीन परंपरा रही है। साथ ही, योग, गुड (डोबरी) महाराजा कनेक्शन (महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंहजी) आदि भी मौजूद हैं।
    • भारत-यूरोपीय संघ के बीच मौजूद रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना: भारत पोलैंड जैसे क्षेत्रीय सदस्य देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत कर रहा है। इससे भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को मजबूती मिल रही है।
    • रणनीतिक स्वायत्तता का प्रदर्शन: उदाहरण के लिए- भारत के प्रधान मंत्री की हालिया यूक्रेन यात्रा से पता चलता है कि यूक्रेन को लेकर भारत का दृष्टिकोण रूस से प्रभावित नहीं है।

    पूर्वी यूरोप के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने से संबंधित चिंताएं 

    • भारत-रूस संबंध: पूर्वी यूरोप के संबंध में भारत के पारंपरिक सोवियत संबंधों का परिप्रेक्ष्य वर्तमान भू-राजनीतिक अवसरों को कमजोर करता है।
    • यूरेशिया क्षेत्र की बदलती भू-राजनीति: उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध।
    • चीन का बढ़ता प्रभाव: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी पहलों के साथ यूरेशियाई क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक उपस्थिति।
    • परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी: उदाहरण के लिए, भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) आदि लंबित हैं।
    • अलग-अलग हितों को प्रबंधित करते हुए स्वायत्तता सुनिश्चित करना: उदाहरण के लिए- QUAD, SCO, G-7 आदि में संतुलनकारी रुख अपनाना।

    निष्कर्ष

    जैसे-जैसे भारत-यूरोपीय संघ के बीच सहयोग बढ़ रहा है, दोनों पक्षों के लिए व्यापक मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण हो गया है। पूर्वी यूरोप के भू-राजनीतिक महत्त्व को हेल्फोर्ड मैकिंडर ने अपने हार्टलैंड सिद्धांत में सही ढंग से पेश किया है। इस सिद्धांत के अनुसार "जो पूर्वी यूरोप पर शासन करता है, वह हार्टलैंड पर नियंत्रण रखता है; जो हार्टलैंड पर शासन करता है, वह वर्ल्ड-आइलैंड पर नियंत्रण रखता है; जो वर्ल्ड-आइलैंड पर शासन करता है, वह विश्व पर नियंत्रण रखता है।

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