सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल के समय में, भारत ने निर्देशित ऊर्जा हथियारों (DEWs) के क्षेत्र में काफी अधिक निवेश किए हैं।
निर्देशित ऊर्जा हथियारों (DEWs) के बारे में

- DEWs वस्तुतः दूर से ही मार करने वाले
- हथियार (Ranged weapons) होते हैं। इसमे गतिज ऊर्जा के बजाए विद्युत चुंबकीय या कण प्रौद्योगिकी से उत्पन्न संकेन्द्रित (Concentrated) ऊर्जा से दुश्मन के उपकरणों, फैसिलिटी और/ या कर्मियों को अशक्त, क्षतिग्रस्त, अक्षम या नष्ट किया जाता है।
- DEWs इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की व्यापकता को बढ़ा देते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic warfare) में किसी सैन्य संघर्ष के दौरान दुश्मन के विरुद्ध विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जाता है।
- DEWs कैसे काम करते हैं?
- DEWs प्रकाश की गति से विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। इसके तहत अलग-अलग विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम पर उत्सर्जित ऊर्जा अपनी तरंगदैर्घ्य के आधार पर अलग-अलग टारगेट को भेदने में सक्षम होती है।
- ऐसे हथियारों के पावर आउटपुट, रोजमर्रा के उपकरणों (जैसे- घरेलू माइक्रोवेव) की तुलना में काफी शक्तिशाली होते हैं, ताकि वे लक्ष्यों या टार्गेट्स को प्रभावी ढंग से बाधित या नष्ट कर सकें।
- DEWs के उपयोग:
- सैन्य सुरक्षा: आक्रमणकारी मिसाइलों को रोकना और नष्ट करना; ड्रोन को निष्क्रिय करना और शत्रु के इलेक्ट्रॉनिक्स को निष्प्रभावी करना।
- कानून प्रवर्तन और सीमा सुरक्षा: गैर-घातक निर्देशित ऊर्जा हथियार जैसे माइक्रोवेव या लेजर का उपयोग भीड़ के नियंत्रण और सीमा सुरक्षा के लिए किया जा सकता है।
- अंतरिक्ष संबंधी संचालन: उपग्रहों को मलबे और उपग्रह-रोधी हथियारों से बचाने में सहायक हैं।
निर्देशित ऊर्जा हथियारों के प्रकार![]()
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DEWs के लाभ
- प्रति शॉट के मामले में लागत दक्षता: DEW पारंपरिक युद्ध सामग्री जैसे मिसाइलों की तुलना में प्रति शॉट संभावित रूप से कम खर्चीली है।
- उदाहरण के लिए- ब्रिटेन के DEW 'ड्रैगनफायर' लेजर का हाल ही में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह 10 यूरो से भी कम की प्रति शॉट लागत पर दुश्मन के विमानों/ मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है।
- तीव्र प्रतिक्रिया: प्रकाश की गति से लेजर किरण लक्ष्य तक लगभग तुरन्त पहुंचने में सक्षम होती है, जो तेज गति से बढ़ते खतरों का मुकाबला करने हेतु काफी महत्वपूर्ण है।
- इससे टारगेट को इंटरसेप्ट करने वाली मिसाइलों के लिए आवश्यक इंटरसेप्ट पथ की गणना करने आदि जैसी आवश्यकता से बचा जा सकता है।
- लोजोस्टिकल दक्षता: इसके लिए पारंपरिक युद्धक सामग्री जैसे गोला-बारूद और मेकेनिकल लोडिंग की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें पावर आउटपुट की आवश्यकता होती, जिससे आपूर्ति श्रृंखला सरल हो जाती है।
- परिशुद्धता: प्रकाश और निर्देशित ऊर्जा के अन्य प्रकार पर गुरुत्वाकर्षण, पवन या कोरियोलिस बल का प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को निशाना बनाना संभव हो जाता है।
- स्टील्थ क्षमता: कई DEWs बिना पकड़ में आये काम कर सकते हैं। ऐसे में विशेष रूप से दृश्यमान स्पेक्ट्रम से परे स्पेक्ट्रम पर बीम उत्सर्जित करने वाले DEWs का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- कम लागत वाले ड्रोन और रॉकेटों का मुकाबला: DEWs एक साथ कई मानवरहित प्रणालियों और हथियारों को निशाना बना सकते हैं, जो मौजूदा वायु और मिसाइल सुरक्षा प्रणाली से बचकर निकल सकते हैं।
DEWs से जुड़ी चुनौतियां
- तकनीकी सीमाएं: DEWs आमतौर पर लक्ष्य से जितनी दूर होते हैं, उतने ही कम प्रभावी होते हैं। साथ ही, वायुमंडलीय दशाएं और शीतलन संबंधी अनिवार्यताएं इनकी प्रभावशीलता को सीमित कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिए- कोहरा और तूफान लेजर बीम की रेंज और गुणवत्ता को कम कर सकते हैं।
- युद्धक्षेत्र में उपयोग: DEWs का उपयोग कैसे और कब किया जाए, इस संबंध में निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- उदाहरण के लिए- हाई पॉवर माइक्रोवेव या मिलीमीटर वेव हथियार जैसे व्यापक बीम वाले DEWs टारगेट के आस-पास के क्षेत्र में अन्य सभी परिसंपत्तियों को प्रभावित करते है, चाहे वे स्वयं की हों या शत्रु की।
- नैतिक और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: लोगों पर DEWs के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में अनिश्चितता ने उनके उपयोग के बारे में नैतिक प्रश्न उठाए हैं। ये दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव जानबूझकर या अनजाने में निर्देशित ऊर्जा के संपर्क में आने पर उत्पन्न हो सकते हैं।
- हथियारों की होड़: किसी एक देश द्वारा DEWs का विकास अन्य देशों के बीच हथियारों की होड़ को बढ़ावा दे सकता है, जिससे तनाव बढ़ सकता है।
- अन्य चिंताएं:
- वर्तमान में, DEWs तुलनात्मक रूप से आकार में बड़े हैं और उनके संचालन के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- DEWs के अनुसंधान और विकास से जुड़ी उच्च लागत।
- HELs को लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने के लिए लाइन ऑफ साइट की आवश्यकता होती है।
- DEW की प्रभावशीलता को कम करने के लिए परावर्तक सामग्रियों और अन्य काउंटरमेजर्स का प्रयोग किया जा सकता है।
DEWs के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- डायरेक्शनली अन-रिस्ट्रिक्टेड रे-गन ऐरे (दुर्गा)-II परियोजना: यह परियोजना 100 किलोवाट वाले हल्के निर्देशित ऊर्जा हथियार बनाने के लिए DRDO द्वारा शुरू की गई है।
- 2kW निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW) प्रणाली: इसे ड्रोन और मानव रहित हवाई प्रणालियों जैसे नए खतरों का मुकाबला करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
- लेजर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (LASTEC): यह DRDO की प्रयोगशाला है, जो त्रि-नेत्र परियोजना के तहत डायरेक्ट एनर्जी वेपन विकसित कर रही है।
- किलो एम्पियर लीनियर इंजेक्टर (KALI): यह लंबी दूरी की मिसाइलों को निशाना बनाने के लिए DRDO और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) द्वारा विकसित किया जा रहा लीनियर इलेक्ट्रॉन एक्सीलेटर है।
दुनिया भर में DEWs के उदाहरण
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निष्कर्ष
अपने पड़ोसियों, विशेष रूप से चीन और उसकी विशाल तकनीकी क्षमता द्वारा उत्पन्न लगातार खतरे के मद्देनजर, भारत की रक्षा प्रणाली को ऑटोनोमस और हाइपरसोनिक हथियारों से उत्पन्न अनिवार्य खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस संदर्भ में DEWs एक संभावित समाधान के रूप में उभर सकते हैं।
