परिचय
परंपरागत रूप से, शिक्षा मुख्यतः संज्ञानात्मक कौशल (Cognitive skills) के विकास पर केंद्रित थी और बुद्धिमत्ता को शैक्षिक उपलब्धि के प्राथमिक चालक के रूप में देखा जाता था। हालांकि, एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि गैर-संज्ञानात्मक कौशल और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) किसी स्टूडेंट की शैक्षणिक उपलब्धियों को आकार देने में मस्तिष्क की बुद्धिमत्ता जितनी ही महत्वपूर्ण है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बारे में
- अपनी भावनाओं और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने, प्रबंधित करने तथा प्रभावित करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहलाती है।
- इस शब्दावली का पहली बार उल्लेख 1990 में शोधकर्ता जॉन मेयर और पीटर सलोवी ने किया था। हालांकि बाद में मनोवैज्ञानिक डैनियल गोलमैन ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बनाया।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) का उच्च स्तर पारस्परिकता से संबंधित कौशल को मजबूत करने में सहायता करता है। यह विशेष रूप से संघर्ष प्रबंधन और संप्रेषण से संबंधित मामलों में तथा गैर-संज्ञानात्मक कौशल विकसित करके व्यक्तित्व का समग्र विकास करने में भी सहायता करता है।
- उदाहरण के लिए- गैर-संज्ञानात्मक कौशल जैसे कि धैर्य, दृढ़ता, शैक्षणिक रुचि और लर्निंग से संबंधित मूल्य आदि।

EQ और IQ के मध्य अंतर
भावनात्मक लब्धि (Emotional Quotient: EQ) | बौद्धिक लब्धि (Intelligence Quotient: IQ) |
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शिक्षा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का महत्त्व
- बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान स्टूडेंट्स तनाव व असफलताओं को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और चुनौतियों के बावजूद दृढ़ रह सकते हैं।
- वे बेहतर फ़ोकस और प्रॉब्लम सॉल्विंग क्षमताओं को प्रदर्शित करते हैं, जिससे वे सीखने की प्रक्रिया में अधिक प्रभावी ढंग से शामिल हो सकते हैं।
- सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान स्टूडेंट्स में उच्च आत्म-सम्मान, चिंता और अवसाद का निम्न स्तर और बेहतर समग्र मानसिक स्वास्थ्य प्रदर्शित करने की अधिक संभावना होती है।
- परानुभूति और करुणा का विकास: स्वयं एवं दूसरों की भावनाओं को समझने और पहचानने से, स्टूडेंट्स अपने साथियों के प्रति परानुभूति तथा करुणा विकसित कर सकते हैं।
- यह एक सहायक और समावेशी शिक्षण वातावरण बनाने में मदद करता है, जहां स्टूडेंट्स को सम्मान मिलता है और उन्हें समझा जाता है।
- उदाहरण के लिए - स्टूडेंट्स को लैंगिक-संवेदनशीलता, अनुभवात्मक शिक्षण के जरिए विचारों को साझा करना आदि सिखाया जाता है।
- प्रभावी संप्रेषण के जरिए संबंधों को प्रगाढ़ बनाना: EI स्टूडेंट्स को अपने विचारों, जरूरतों और भावनाओं को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिताओं के जरिए।
- इससे वे सक्रिय रूप से सुनना, परानुभूतिपूर्वक उत्तर देना तथा संघर्षों को रचनात्मक रूप से हल करना सीखते हैं। ये कौशल साथियों, शिक्षकों और अन्य सदस्यों के साथ सकारात्मक संबंधों में योगदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए - अपनी गलतियों को स्वीकार करना सीखना।
- दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करना: नियोक्ता और संगठन EI को अत्यधिक महत्त्व देते हैं क्योंकि यह भावनाओं को प्रबंधित करने, प्रभावी ढंग से सहयोग करने और मजबूत पारस्परिक कौशल प्रदर्शित करने में मदद करता है, जो कार्यस्थल के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- उदाहरण के लिए - सहकर्मियों के साथ समन्वय, काम के दबाव को संभालना।
- प्रभावी नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता: EI से युक्त स्टूडेंट्स अपने सबल और दुर्बल पक्षों के बारे में समझते हैं, उनमें आत्मविश्वास होता है और वे दूसरों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर सकते हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित करने के तरीके
- सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा (SEL) कार्यक्रम: इसे स्टूडेंट्स को अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने, सकारात्मक लक्ष्य निर्धारित करने तथा उन्हें प्राप्त करने, परानुभूति महसूस करने और उसे प्रदर्शित करने, सकारात्मक संबंध स्थापित करने तथा उसे बनाए रखने एवं जिम्मेदारीपूर्ण निर्णय लेने के लिए आवश्यक कौशल सिखाने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- उदाहरण के लिए- गुजरात के वडनगर में प्रेरणा एक्सपीरियंशियल लर्निंग स्कूल एक सप्ताह का आवासीय कार्यक्रम है जो अनुभवात्मक और प्रेरणादायक शिक्षण प्रदान करता है।
- सहयोगात्मक शिक्षण: ग्रुप प्रोजेक्ट्स, सहकर्मी से सीखना और टीम आधारित गतिविधियां स्टूडेंट्स को एक साथ काम करने, विचारों को साझा करने और सामाजिक कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जो टीमवर्क, संप्रेषण और संघर्ष समाधान कौशल को बेहतर बनाने में सहायता करती हैं।
- उदाहरण के लिए - हैप्पीनेस करिकुलम, दिल्ली।
- चिंतन और आत्म-जागरूकता अभ्यास: ध्यान, डायरी लेखन आदि स्टूडेंट्स को आत्म-जागरूकता और आत्म-संयम विकसित करने में मदद करता है।
- शिक्षकों और कर्मचारियों को सशक्त बनाना: EI शिक्षकों को भावनात्मक जरूरतों को पहचानने और उनका जवाब देने में मदद करता है। साथ ही, यह भावनात्मक रूप से सुरक्षित कक्षाएं सुनिश्चित करने में मदद करता है और दंडात्मक उपायों के बजाय सुधारात्मक प्रथाओं को लागू करने में भी मदद करता है आदि।
- माता-पिता और समुदायों को शामिल करना: घर और समाज के स्तर पर अभ्यासों को अपनाकर EI को समग्र रूप से बढ़ावा दिया जा सकता है।
- फीडबैक सिस्टम: छात्र सर्वेक्षण, अकादमिक प्रदर्शन पर प्रभाव और सहकर्मी के साथ संबंध, अनुशासन रेफरल जैसे व्यवहार संकेतकों के माध्यम से उठाए गए कदमों के प्रभाव को मापना।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में मूलभूत और संज्ञानात्मक क्षमताओं के साथ-साथ सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक स्वभाव पर ध्यान केंद्रित करके प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया गया है।
- उदाहरण के लिए- विषयों को चुनने की स्वतंत्रता के साथ बहु-विषयक शिक्षा, पेशेवर अकादमिक और कैरियर परामर्श आदि।
प्रशासनिक कार्यों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के उपयोग
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अपनी नैतिक अभिक्षमता का परीक्षण कीजिएआप एक डिस्ट्रिक्ट स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। नियमित निरीक्षण के दौरान आप देखते हैं कि जाति के आधार पर कुछ छात्रों का अनौपचारिक अलगाव मौजूद है। छात्रों ने समान जाति के छात्रों के साथ समूह बना लिए हैं और अक्सर लड़ाई करते हैं, जिससे अनौपचारिक मेल-मिलाप में जातिगत भेदभाव को बल मिलता है। शिक्षकों के साथ चर्चा करने पर इस अवलोकन की पुष्टि होती है। छात्र आस-पास के गांवों से आते हैं जहां सामाजिक मेल-मिलाप में जातिगत भेदभाव प्रचलित है।
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