प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी.एम.-कुसुम) {Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan (PM-KUSUM)}
Posted 30 Oct 2024
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सुर्ख़ियों में क्यों?
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, 30.06.2024 तक प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी.एम.-कुसुम) योजना के तहत लाभान्वित होने वाले किसानों की कुल संख्या लगभग 4.1 लाख है।
उद्देश्य
मुख्य विशेषताएं
किसानों की सिंचाई पद्धतियों में नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करना।
महंगे डीजल के स्थान पर सस्ती सौर ऊर्जा का उपयोग करना।
राज्यों पर कृषि बिजली सब्सिडी का बोझ कम करना और डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति में सुधार करना।
किसानों की सब्सिडी वाली दरों पर सौर जल-पंपों तक पहुंच प्राप्त करने में सहायता करना।
किसानों को उनकी बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सहायता करना।
मंत्रालय: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
यह योजना वर्ष 2019 में शुरू की गई थी।
योजना का लक्ष्य: मार्च 2026 तक लगभग 34,800 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता का सृजन करना।
योजना का प्रकार: यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
पात्रता:
एक व्यक्तिगत किसान
किसानों का एक समूह
किसान उत्पादक संगठन
पंचायत
सहकारी समितियां
जल उपयोगकर्ता संघ
योजना के 3 घटक हैं:
घटक A: इस घटक का उद्देश्य किसानों द्वारा अपनी भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/ स्टिल्ट माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत संयंत्रों की स्थापना करना है।
किसान अपनी जमीन पर व्यक्तिगत रूप से या समूहों/ सहकारी समितियों के साथ मिलकर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत संयंत्र स्थापित कर सकते हैं।
सौर पैनल कृषि योग्य भूमि पर लगाए जा सकते हैं और उनके नीचे फसलें उगाई जा सकती हैं।
डिस्कॉम्स राज्य विद्युत विनियामक आयोग (SERC) द्वारा निर्धारित फीड-इन-टैरिफ (FiT) पर किसानों से सौर ऊर्जा को खरीदेंगे।
योजना के तहत आगामी पांच वर्षों के लिए MNRE द्वारा डिस्कॉम्स को प्रोक्योरमेंट बेस्ड इंसेंटिव (PBI) प्रदान किया जाएगा। यह इंसेंटिव 40 पैसे/ किलोवाट-घंटा या ₹6.60 लाख/ मेगावाट/ वर्ष, जो भी कम हो, के रूप में होगा। यह सहायता किसानों या डेवलपर्स से सौर ऊर्जा खरीदने के लिए दी जाएगी।
प्रोजेक्ट स्थल निकटतम सब-स्टेशन से 5 किलोमीटर के भीतर होना चाहिए।
घटक B: 14 लाख स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों की स्थापना करना।
व्यक्तिगत किसानों को ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में, जहां ग्रिड आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, वहां पर 15 हॉर्स पावर (HP) तक की क्षमता वाले स्टैंडअलोन सौर कृषि पंपों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
केंद्र और राज्य सरकार पंप की लागत का 30-30 प्रतिशत हिस्सा साझा करेंगे; लागत का शेष 40 प्रतिशत किसान वहन करेंगे। यद्यपि, किसान लागत के 30 प्रतिशत तक हेतु बैंक से ऋण ले सकते हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र/ पहाड़ी क्षेत्र और द्वीप समूह में लागत का 50 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) द्वारा; 30 प्रतिशत राज्य सरकार की सब्सिडी द्वारा; और शेष 20 प्रतिशत लागत किसान द्वारा वहन की जाएगी।
यदि राज्य सरकार अपनी 30% सब्सिडी प्रदान करने की स्थिति में नहीं है, तो किसान केवल केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ भी सौर पंप स्थापित कर सकते हैं।
घटक C: फीडर स्तर पर सौरीकरण सहित ग्रिड से जुड़े 35 लाख कृषि पंपों का सौरीकरण।
व्यक्तिगत पंप सौरीकरण (IPS)
ग्रिड से जुड़े कृषि पंप वाले व्यक्तिगत किसानों को उनके पंपों का सौरीकरण करने में सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत पंप क्षमता के दो गुना तक की सौर फोटोवोल्टिक क्षमता की अनुमति है।
किसान उत्पादित सौर ऊर्जा का उपयोग सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं और अतिरिक्त सौर ऊर्जा को डिस्कॉम्स को बेच सकते हैं।
केंद्र और राज्य सरकारें पंप की लागत का 30-30 प्रतिशत हिस्सा साझा करेंगी; लागत का शेष 40 प्रतिशत किसान वहन करेंगे। यद्यपि, किसान लागत के 30 प्रतिशत तक हेतु बैंक से ऋण ले सकते हैं।
फीडर स्तर पर सौरीकरण (FLS)
व्यक्तिगत सौर पंपों के बजाय राज्य कृषि फीडरों को सौरीकरण कर सकते हैं।
जहां कृषि फीडरों को अलग नहीं किया गया हैं, वहां NABARD या PFC/ REC से ऋण लेकर फीडर सेपरेशन किया जा सकता है।
इसके अलावा, फीडर सेपरेशन के लिए विद्युत मंत्रालय की रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) से सहायता ली जा सकती है। हालांकि, मिश्रित फीडरों का भी सौरीकरण किया जा सकता है।
सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की लागत पर 30 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान की जाएगी। यह सहायता सामान्य राज्यों के लिए 1.05 करोड़ रुपये/ मेगावाट तक और पूर्वोत्तर क्षेत्र/ पहाड़ी क्षेत्र और द्वीपीय राज्यों के लिए 1.75 करोड़ रुपये/ मेगावाट तक प्रदान की जाएगी।
हालांकि, पूर्वोत्तर क्षेत्र/ पहाड़ी क्षेत्र और द्वीप समूहों के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध है।