भारत ने अपना पहला रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट ‘RHUMI-1’ सफलतापूर्वक लॉन्च किया (India’s First Reusable Hybrid Rocket Named RHUMI-1 Launched)
‘RHUMI-1’ रॉकेट को तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस जोन इंडिया ने मार्टिन ग्रुप के सहयोग से विकसित किया है। इसका प्रक्षेपण चेन्नई के थिरुविदंधई से किया गया।
- इसे मोबाइल लॉन्चर का इस्तेमाल करके लॉन्च किया गया है। इसमें 3 क्यूब सैटेलाइट्स और 50 पिको (PICO) सैटेलाइट्स शामिल हैं। ये दोनों तरह के सैटेलाइट्स ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से संबंधित डेटा एकत्र करेंगे।
- क्यूब सैटेलाइट्स नैनो उपग्रहों का एक प्रकार हैं। इनका वजन 1-10 किलोग्राम के बीच होता है।
- पिको सैटेलाइट्स छोटे आकार के उपग्रह होते हैं। इनका वजन आमतौर पर 0.1 से 1 किलोग्राम के बीच होता है।
RHUMI-1 की विशेषताएं:
- हाइब्रिड रॉकेट इंजन: RHUMI-1 एक तरह का हाइब्रिड रॉकेट इंजन है। इसमें ठोस और तरल प्रणोदक के कॉम्बिनेशन का उपयोग किया गया है। इससे इंजन की दक्षता में सुधार होता है और परिचालन लागत में कमी आती है।
- एडजस्टेबल लॉन्च एंगल: इसके लॉन्च एंगल को 0 से 120 डिग्री के बीच कहीं भी सेट किया जा सकता है, जिससे इसकी ट्रेजेक्टरी को बारीकी से कंट्रोल किया जा सकता है।
- विद्युत संचालित पैराशूट प्रणाली: यह एक नवाचारी, लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल प्रणाली है। इसकी मदद से लॉन्च किए गए रॉकेट के घटकों को फिर से सुरक्षित तरीके से प्राप्त किया जा सकता है।
- पर्यावरण के अनुकूल: RHUMI-1 100% पायरोटेक्निक-मुक्त है और इसमें TNT का प्रतिशत भी शून्य है।
रियूजेबल रॉकेट के बारे में
- रियूजेबल रॉकेट पेलोड्स को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करते हैं और फिर पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं। इस प्रकार के रॉकेट्स को फिर से नए पेलोड्स स्थापित करने के लिए लॉन्च किया जा सकता है।
- लाभ:
- लागत में बचत: इसका उपयोग करने से हर बार एक नया रॉकेट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे लागत में 65% तक की बचत होती है।
- अंतरिक्ष मलबे में कमी: इससे प्रक्षेपित किए जाने वाले रॉकेट्स की संख्या में कमी आएगी जिसके चलते अंतरिक्ष मलबे में भी कमी आएगी।
- लॉन्च की संख्या में वृद्धि होना: इससे टर्नअराउंड समय में कमी आएगी, जिससे रॉकेट्स का उपयोग कम समय में कई बार किया जा सकता है।
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- Reusable Hybrid Rocket
- RHUMI-1
अस्त्र मार्क 1 मिसाइलें (Astra Mark 1 Missiles)
वायुसेना ने 200 अस्त्र मार्क 1 मिसाइल बनाने को मंजूरी प्रदान की।
अस्त्र मिसाइलों के बारे में:
- यह हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल (AAM) प्रणाली की एक बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) श्रेणी है। इसका निर्माण लड़ाकू विमानों पर इंस्टॉल करने के लिए किया गया है।
- SU-30 Mk-I विमान के साथ एकीकृत ASTRA Mk-I हथियार प्रणाली को भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल किया जा रहा है।
- इसकी रेंज 80 से 110 किलोमीटर तक है।
- मिसाइल को अत्यधिक युद्धाभ्यास वाले सुपरसोनिक विमानों को शामिल करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- अस्त्र मिसाइलों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने तकनीकी विकास का काम किया है, जबकि भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने इसका व्यावसायिक उत्पादन किया है।
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- Astra Mark 1
- Missile
मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (Man Portable Anti-Tank Guided Missile)
हाल ही में, DRDO ने स्वदेश निर्मित मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
MPATGM हथियार प्रणाली के बारे में
- यह कंधे से लॉन्च की जाने वाली पोर्टेबल मिसाइल प्रणाली है। इसे विशेष रूप से दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसमें लॉन्चर, टारगेट एक्विजिशन सिस्टम और फायर कंट्रोल यूनिट शामिल हैं।
- यह एडवांस्ड इन्फ्रारेड होमिंग सेंसर्स और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स से लैस है। इनसे यह दिन और रात दोनों स्थितियों में काम करने में सक्षम बन जाती है।
- यह हाई एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक (HEAT) आकार के चार्ज वारहेड से लैस है।
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- DRDO
- Missile
- Man-Portable Anti-Tank Guided Missile (MPATGM)
गौरव (Gaurav)
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने Su-30 MK-I प्लेटफॉर्म से लंबी दूरी के ग्लाइड बम 'गौरव' का पहला सफल परीक्षण किया।
गौरव के बारे में
- यह हवा से प्रक्षेपित किया जाने वाला 1,000 किलोग्राम श्रेणी का ग्लाइड बम है। यह लंबी दूरी तक लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है।
- लॉन्च करने के बाद ग्लाइड बम अत्यधिक सटीक हाइब्रिड नेविगेशन स्कीम का उपयोग करके लक्ष्य की ओर बढ़ता है। इसके लिए ग्लाइड बम इंडियन नेविगेशन सिस्टम (INS) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) डेटा के संयोजन का उपयोग करता है।
- इसे अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI), हैदराबाद द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
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- Defence Research and Development Organisation (DRDO)
- GAURAV
- Glide bomb
सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास (Exercises in News)
- तरंग शक्ति अभ्यास: भारतीय वायु सेना (IAF) ने तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस में तरंग शक्ति अभ्यास का पहला चरण आयोजित किया।
- यह भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित पहला बहुराष्ट्रीय अभ्यास था।
- इसका उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन करना था। साथ ही, भाग लेने वाली सेनाओं के बीच ऑपरेशन में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना था।
- भारतीय वायु सेना ने यह अभ्यास हर दो साल पर आयोजित करने की घोषणा की है।
- अभ्यास ‘उदार शक्ति’: यह भारत और मलेशिया के बीच आयोजित संयुक्त हवाई अभ्यास है।
- 'पर्वत प्रहार' अभ्यास: भारतीय थल सेना लद्दाख में 'पर्वत प्रहार' अभ्यास आयोजित कर रही है। यह अभ्यास अधिक ऊंचाई पर लड़े जाने वाले युद्ध और अभियानों पर केंद्रित है।
- इस अभ्यास में सेना की अलग-अलग इकाइयां भाग ले रही हैं और अलग-अलग युद्ध उपकरण शामिल किए जा रहे हैं, ताकि सैनिक भारत-चीन सीमा के पास युद्ध के लिए तैयार रह सकें।
- अभ्यास मित्र शक्ति: यह भारत और श्रीलंका के बीच एक वार्षिक सैन्य अभ्यास है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य कौशल, अनुभव और सर्वोत्तम कार्य-पद्धतियों के विनिमय की सुविधा प्रदान करके दोनों देशों की सेनाओं की परिचालन दक्षता में सुधार करना है।
- अभ्यास खान क्वेस्ट: यह एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है। इसके 21वें संस्करण में भारतीय थल सेना भाग लेगी। इसका आयोजन मंगोलिया के उलानबाटार में किया जाएगा।
- समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX): हाल ही में भारतीय नौसैनिक जहाज तबर ने भारत और रूस के बीच आयोजित समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX) में भाग लिया।
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