हाल ही में, केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करने के लिए लोक सभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया।
अन्य संबंधित तथ्य
आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने, उनके उचित प्रबंधन तथा उनसे संबंधित अन्य मामलों के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 लागू किया गया था।
इस विधेयक का उद्देश्य 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप विकासात्मक योजनाओं में आपदा प्रबंधन को मुख्य रूप से शामिल करना है।
इसके जरिए आपदा प्रबंधन से जुड़े प्राधिकरणों और समितियों की भूमिकाओं को अधिक स्पष्ट कर उनमें समन्वय स्थापित किया जा सकेगा।
आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के मध्य तुलना
प्रावधान
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005
आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024
आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी
राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और राज्य कार्यकारी समिति क्रमशः राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करती हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करेंगे।
NDMA और SDMA का अपने-अपने स्तर पर कार्य
सरकारी विभागों की आपदा प्रबंधन योजनाओं की समीक्षा करना;
अधीनस्थ प्राधिकरणों द्वारा आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने हेतु दिशा-निर्देश जारी करना; तथा
आपदा शमन के लिए फंड के प्रावधान की सिफारिश करना।
इस विधेयक में इन प्राधिकरणों के लिए नए कार्य शामिल किए गए हैं:
आपदा जोखिमों का समय-समय पर आकलन करना।
प्राधिकरणों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
राहत से जुड़े न्यूनतम मानकों के लिए दिशा-निर्देश सुझाना।
राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा डेटाबेस तैयार करना।
राज्य एवं आपदा डेटाबेस
कोई प्रावधान नहीं
इसमें आपदा जोखिम के प्रकार एवं गंभीरता, फंड का आवंटन एवं व्यय तथा आपदा से निपटने संबंधी तैयारी एवं शमन योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाना शामिल है।
NDMA में नियुक्तियां
अधिनियम में प्रावधान है कि जरूरत पड़ने पर केन्द्र सरकार NDMA को अधिकारी, परामर्शदाता और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।
यह विधेयक NDMA को केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या एवं श्रेणी निर्धारित करने का अधिकार देता है।
शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA)
कोई प्रावधान नहीं
यह विधेयक दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर राज्य सरकारों को राज्य की राजधानियों और नगर निगम वाले शहरों के लिए एक अलग शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने का अधिकार देता है।
राज्य आपदा मोचन बल का गठन
कोई प्रावधान नहीं
यह विधेयक राज्य सरकारों को राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) गठित करने का अधिकार देता है।
राज्य सरकार SDRF के कार्य और इसके सदस्यों के लिए सेवा-शर्तें निर्धारित करेगी।
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) और उच्च स्तरीय समिति (HLC)
कोई प्रावधान नहीं
इस विधेयक में NCMC और उच्च स्तरीय समिति (HLC) को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
NCMC गंभीर या राष्ट्रीय स्तर के प्रभाव वाली बड़ी आपदाओं से निपटने के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करेगी।
HLC आपदाओं के दौरान राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
NCMC के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव तथा HLC के अध्यक्ष आपदा प्रबंधन पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले केन्द्रीय सरकार के मंत्रालय या विभाग के प्रभारी मंत्री होंगे।
आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक से संबंधित मुद्दे:
वित्तीय हस्तांतरण का अभाव: शहरी स्थानीय निकायों के पास वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMAs) का गठन, उन्हें संसाधन प्रदान करना और उनका प्रभावी संचालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
केंद्रीकरण: यह विधेयक केंद्र सरकार को प्रत्यायोजित विधान (Delegated legislation) के जरिए विशिष्ट मामलों पर नियम बनाने की अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है। इससे संभवतः राज्यों के लिए आरक्षित विधायी शक्तियों के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
संवैधानिकता का परीक्षण: यहविधेयक सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रविष्टि संख्या 23 - "सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा, नियोजन और बेकारी" - के तहत लाया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपदा प्रबंधन का अलग से उल्लेख सातवीं अनुसूची में नहीं है।
'आपदा' की सीमित परिभाषा: इस विधेयक में अधिसूचित आपदाओं की सूची का विस्तार करके उसमें हीटवेव जैसी जलवायु-जनित आपदा को शामिल नहीं किया गया है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के बारे में
इसे 2004 की विनाशकारी सुनामी के बाद लागू किया गया था।
प्राधिकरणों की स्थापना: इसअधिनियम में आपदा प्रबंधन के लिए त्रिस्तरीय संरचना स्थापित करने का प्रावधान है:
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMC): इसके अध्यक्ष प्रधान मंत्री होते हैं। यह राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए नीतियां, योजनाएं और दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए जिम्मेदार है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMAs): इसका अध्यक्ष संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री होता है। यह राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMAs): इसका अध्यक्षजिला मजिस्ट्रेट होता है। यह जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी: इसअधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करना अनिवार्य किया गया है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF): इसकी स्थापना आपदाओं के समय जरूरी कार्रवाई करने के लिए की गई है, जिसमें खोज और बचाव कार्य, चिकित्सा सहायता और राहत सामग्री वितरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
वित्त-पोषण तंत्र: इसमेंराहत और बचाव कार्यों के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (NDRF) और राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) के गठन का प्रावधान है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM): इसके तहत आपदा से संबंधित अनुसंधान, प्रशिक्षण, जागरूकता और क्षमता निर्माण के लिए NIDM की स्थापना भी की गयी है।
निष्कर्ष
आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जैसे नए संस्थागत व्यवस्था को शुरू करके आपदा जोखिम शमन और प्रबंधन को मजबूत करना है। हालाँकि, इसकी सफलता सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच समन्वय, प्राधिकार और संसाधन आवंटन से संबंधित चुनौतियों के समाधान पर ही निर्भर करेगी।