सुर्ख़ियों में क्यों?
MyGov प्लेटफॉर्म को शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए हैं। इस प्लेटफॉर्म को जुलाई, 2014 में शुरू किया गया था।
MyGov प्लेटफॉर्म के बारे में
- इस प्लेटफॉर्म को 2014 में भारत के प्रधान मंत्री ने शुरू किया था। MyGov वस्तुतः नागरिकों की भागीदारी हेतु एक प्लेटफॉर्म है, जो नीति निर्माण में नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए कई सरकारी निकायों/ मंत्रालयों के साथ सहयोग करता है। साथ ही, यह प्लेटफॉर्म जनहित तथा लोक कल्याण से जुड़े मुद्दों पर लोगों की राय भी प्राप्त करता है।
- संक्षेप में, यह लोगों को सरकार के साथ जुड़ने तथा सुशासन में भागीदारी करने में सक्षम बनाता है।
- 2014 से, यह 4.72 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ एक मजबूत प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित हुआ है, जिन्हें MyGov साथी के रूप में जाना जाता है।
- MyGov के तहत शुरू किए गए प्रमुख अभियान:
- LiFE अभियान: यह जन समुदाय को पर्यावरणीय क्षरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही, यह वैश्विक चुनौतियों से निपटने हेतु व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयासों के व्यापक प्रभाव पर जोर देता है।
- स्टे सेफ ऑनलाइन: यह अभियान भारत की G-20 समूह की अध्यक्षता के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य ऑनलाइन जोखिमों, सुरक्षा उपायों और साइबर स्वच्छता के बारे में नागरिकों (विशेष रूप से दिव्यांगजनों) को शिक्षित करना है, ताकि समग्र साइबर सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।
- स्वच्छ भारत सर्वेक्षण: यह कार्यक्रम इंटरैक्टिव गतिविधियों और सोशल मीडिया जुड़ाव के जरिए, एक स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के निर्माण में सक्रिय लोक भागीदारी को बढ़ावा देता है।
- मिलेट्स-सुपरफूड: इसका उद्देश्य मिलेट्स के पोषण संबंधी लाभों को उजागर करना तथा जीवन-शैली संबंधी बीमारियों को रोकने में उनकी भूमिका को समझना है।

नागरिक भागीदारी सुशासन में कैसे मदद करती है?
- जवाबदेही और पारदर्शिता: नागरिक फीडबैक देकर, समास्याओं की रिपोर्टिंग करके और कार्रवाई की मांग करके सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराते हैं। इससे सरकारी निर्णयों में पारदर्शिता और खुलेपन को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण के लिए- सूचना का अधिकार (RTI), नागरिकों को सरकारी अधिकारियों और एजेंसियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने हेतु जानकारी प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है।
- सेवा वितरण: नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी के जरिए नागरिक यह सुनिश्चित करते हैं कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी ज़रूरतों और हितों को ध्यान में रखा जाए, जिससे सार्वजनिक सेवाओं और नीतियों के परिणामों के वितरण में वृद्धि हो।
- उदाहरण के लिए- दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों के मूल्यांकन में सामुदायिक भागीदारी ने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार किया है।
- समावेशिता को बढ़ावा मिलता है: शासन-व्यवस्था में नागरिकों को शामिल करने से उनमें अपनेपन की भावना विकसित होती है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि हाशिए पर रहे समूहों सहित विविध समुदाय सरकार के समक्ष अपना मत प्रकट कर सकते हैं। इससे समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण के लिए- MGNREGA, सामाजिक लेखा परीक्षा आदि गरीबों और हाशिए पर रहे लोगों को प्राथमिकता देने में मदद करती है।
- विश्वास निर्माण: कार्यक्रमों में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से सरकारी संस्थानों में लोगों का विश्वास बढ़ता है, लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूती मिलती है तथा राज्य और समाज के बीच सहयोगपूर्ण संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण के लिए- ग्राम सभाएं जमीनी स्तर पर सामुदायिक विश्वास को बढ़ावा देती हैं।
- नवाचार: नागरिक भागीदारी, शासन संरचना को मजबूत करने वाली पहलों में योगदान करने के लिए नए दृष्टिकोण, नवीन विचार और समाधान दे सकती है।
- उदाहरण के लिए- मैसूरु स्थित फर्म को पर्यावरण के अनुकूल इंटरलॉक टाइल या पेवर्स बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने के उनके अभिनव समाधान हेतु पेटेंट प्रदान किया गया है। ये टाइल्स सीमेंट से भी अधिक मजबूत हैं।
सुशासन में नागरिक भागीदारी बढ़ाने से जुड़ी चुनौतियां
- प्रतिबद्धता की कमी: नीति निर्माण में भागीदारी के लिए समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो अक्सर सीमित होते हैं। इससे नागरिकों की निरंतर भागीदारी बाधित होती है।
- सीमित भागीदारी: कई नागरिकों में सरकारी प्रक्रियाओं, कानूनों और उनके अधिकारों के बारे में आवश्यक ज्ञान एवं समझ की कमी है, जो उनकी प्रभावी भागीदारी में बाधा डालती है।
- इसके अलावा, जटिल प्रक्रियाएं और लालफीताशाही नागरिकों के लिए भागीदारी करना मुश्किल बना सकती हैं।
- प्रशासनिक चुनौतियां: सरकारों में बड़े पैमाने पर भागीदारी को प्रबंधित करने की क्षमता की कमी हो सकती है। उदाहरण के लिए- नागरिकों से प्राप्त फीडबैक को प्रोसेस करने, कार्यक्रम आयोजित करने आदि के लिए प्रबंधन स्तर पर विफलता हो सकती है। इससे नागरिक सहभागिता प्रभावित हो सकती है।
- सरकार पर विश्वास की कमी: अधूरे वादों, कथित भ्रष्टाचार के मामलों, भाई-भतीजावाद और विकास संबंधी प्राथमिकताओं पर समुदाय के इनपुट पर विचार करने में विफलता के कारण सरकार में जनता का विश्वास अक्सर कम होता है, जिससे जनता की भागीदारी बाधित होती है।
- सामाजिक कारक: सामाजिक-आर्थिक असमानताएं, रूढ़िवादी सांस्कृतिक मानदंड और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण महिलाओं एवं हाशिए के समूहों को गवर्नेंस में समान रूप से भाग लेने और निर्णय लेने के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

आगे की राह
- सुगमता: सरकारी डेटा को व्यवस्थित और सुलभ प्रारूप में जारी किया जाना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकों तक सरकारी सूचनाओं की आसान पहुंच हो। उदाहरण के लिए- पारदर्शिता बढ़ाने हेतु RTI अधिनियम को मजबूत बनाना।
- जागरूकता: स्कूली पाठ्यक्रम में शासन-व्यवस्था और नागरिक शिक्षा को शामिल करना चाहिए। नागरिकों को उनके अधिकारों, उनकी भागीदारी के महत्त्व और शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म: डिजिटल अवसंरचना को मजबूत करना चाहिए और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल ई-गवर्नेंस प्लैटफॉर्म्स बनाने चाहिए। इससे नागरिक सहभागिता बढ़ाने के लिए नागरिकों को जानकारी तक सुगम पहुंच प्राप्त हो सकेगी और वे आसानी से फीडबैक प्रदान कर सकेंगे।
- समावेशी नीति-निर्माण: शासन प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए नियमित सार्वजनिक परामर्श, प्रमुख नीतिगत निर्णयों पर जन-भागीदारी और विविध समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए। जैसे- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन में सार्वजनिक जन-भागीदारी घटक को मजबूत करना आदि।
- शिकायत निवारण: शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत और सुव्यवस्थित करना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शासन प्रणाली में विश्वास बनाने के लिए नागरिक शिकायतों का तुरंत समाधान किया जाए। इसके अलावा, नीतियों के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए फीडबैक प्रणाली को मजबूत करना चाहिए।