राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) | Current Affairs | Vision IAS
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    राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day)

    Posted 30 Oct 2024

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग की स्मृति में भारत ने 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (NSD) मनाया।

    राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के बारे में

    • चंद्रयान-3 मिशन के तहत 23 अगस्त, 2023 को विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की।
      • इसके साथ ही, भारत चंद्रमा पर उतरने वाला विश्व का चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय के निकट लैंड करने वाला पहला देश बन गया है।
    • सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर संचालन भी किया यानी विभिन्न गतिविधियां शुरू की। लैंडिंग स्थल का नाम 'शिव शक्ति' पॉइंट (स्टेशन शिव शक्ति) रखा गया।
    • थीम: "चाँद को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा (Touching Lives while Touching the Moon: India's Space Saga)"

    भारत की अंतरिक्ष गाथा

    • आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था, जिसे 1975 में प्रक्षेपित किया गया था। यह पृथ्वी के वायुमंडल और विकिरण बेल्ट का अध्ययन करने के लिए अपने साथ वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया था।
    • इसरो ने जनवरी 2024 तक 123 स्पेसक्राफ्ट मिशन और 95 लॉन्च मिशन पूरे किए हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां भारत की वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका का नया अध्याय दर्शाती हैं। उदाहरण: आर्टेमिस समझौता।
    • भारत दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (वित्त-पोषण के संदर्भ में) है।

    सीमित संसाधनों के बावजूद इसरो ने इतनी उपलब्धियां कैसे हासिल कीं?

    • दूरदर्शी नेतृत्व: विक्रम साराभाई को "भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक" के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने ही  इसरो की नींव रखी थी।
      • उन्होंने बड़ी पहलों के लिए बॉटम-अप दृष्टिकोण पर जोर दिया।  
    • लागत प्रभावी मिशन: इसरो ने प्रणाली को सरल बनाने, जटिल बड़ी प्रणाली को छोटा करने, गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त करने और उत्पाद से अधिकतम परिणाम सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
      • चंद्रयान-1 के लिए बनाई गई  30% से अधिक उप-प्रणालियों का उपयोग अन्य मिशनों में किया गया।
    • स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास: इसरो ने आयात पर अपनी निर्भरता को कम किया है और महत्वपूर्ण उपकरणों को यथासंभव स्वदेशी स्तर पर विकसित करने का प्रयास किया है।
      • उदाहरण: ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle: PSLV)
    • साझेदारी और सहयोग: आर्यभट्ट उपग्रह को सोवियत कोस्मोस-3M रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
      • हाल के उदाहरणों में NASA-ISRO SAR मिशन (NISAR) और गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों का रूस में प्रशिक्षण शामिल है।
    • निजी क्षेत्रक को शामिल करना: इसरो ने महत्वपूर्ण उपकरणों और सेट-अप के डिजाइन, विनिर्माण और परीक्षण के लिए स्थानीय उद्योग की भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
      • उदाहरण के लिए चंद्रयान-3 के कई उत्पादों की आपूर्ति स्थानीय उद्योग द्वारा की गई थी।

    विकासशील देश होते हुए भी भारत अंतरिक्ष मिशनों में क्यों निवेश कर रहा है?

    • आत्मनिर्भरता के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा: उदाहरण के लिए भारत की क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन)
      • यह अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) पर भारत की निर्भरता को कम करेगा।
      • एक मजबूत उपग्रह प्रणाली देश की सीमाओं की निगरानी, पड़ोसी देशों की सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने, और खुफिया जानकारी एकत्र करने में मदद करेगी।
    • सामाजिक-आर्थिक लाभ: भारत ने अपनी उपग्रह क्षमताओं का विकास फसलों, प्राकृतिक आपदाओं एवं  कटाव से होने वाले नुकसान की मैपिंग और सर्वेक्षण के लिए भी किया है। 
      • साथ ही, दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और दूरसंचार हेतु उपग्रह आधारित संचार का भी उपयोग किया जाता है।
    • अंतरिक्ष कूटनीति: उदाहरण- दक्षिण एशिया उपग्रह परियोजना।
    • वैज्ञानिक अनुसंधान: चंद्रयान-3 के तहत विक्रम और प्रज्ञान पर लगे उपकरणों से चन्द्रमा पर कई प्रयोग किए गए।
    • राजस्व सृजन: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्रक ने पिछले दस वर्षों (2014-2023) में 13 बिलियन डॉलर के निवेश के मुकाबले 60 बिलियन डॉलर का राजस्व सृजन किया था।
    • गुणक प्रभाव: अंतरिक्ष क्षेत्रक द्वारा सृजित प्रत्येक डॉलर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर 2.54 डॉलर के बराबर गुणक प्रभाव पड़ा है।

    भविष्य के प्रमुख मिशन

    मिशन

    विवरण

    चंद्रयान-4

    • इसके तहत चंद्रमा से चट्टान और मिट्टी के नमूने को पृथ्वी पर लाया जाएगा।

    गगनयान मिशन

    • यह तीन दिवसीय अंतरिक्ष मिशन होगा। इसमें तीन सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में भेजकर तथा उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है ।

    शुक्र ग्रह ऑर्बिटर मिशन (शुक्रयान)

    • यह शुक्र के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए एक ऑर्बिटर मिशन है। 

    मंगल ऑर्बिटर मिशन 2 (मंगलयान 2)

    • यह मंगल ग्रह के लिए भारत का दूसरा अंतरग्रहीय मिशन होगा। यह मुख्य रूप से एक ऑर्बिटर मिशन होगा।

    लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX)

    • यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अन्वेषण करने के लिए JAXA के साथ सहयोग में एक मिशन होगा। 

    भारतीय अन्तरिक्ष स्टेशन (2028-2035)

    • यह अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जायेगा, जिसका वजन 20 टन होगा और इसमें अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिनों तक रह सकेंगे।

    निष्कर्ष

    इसरो की सफलता ने अन्य देशों के साथ-साथ भारत के विभिन्न संगठनों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि टीम का प्रयास और योजना सकारात्मक तरीके से परिणाम दे सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 निजी क्षेत्र के और अधिक एकीकरण की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे नए मील के पत्थर के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।

    अन्य संबंधित सुर्खियां 

    अंतरिक्ष कूटनीति

    • नेपाल के 'मुनाल सैटेलाइट' के प्रक्षेपण के लिए अनुदान सहायता देने हेतु भारत और नेपाल ने समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए
      • भारत और नेपाल के बीच यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
      • इस  सैटेलाइट को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) से लॉन्च किया जाएगा।
    • अंतरिक्ष कूटनीति के बारे में:
      • इसका उद्देश्य देश की विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।
      • भारत के लिए अंतरिक्ष कूटनीति का महत्त्व
        • ग्लोबल साउथ का सहयोग: भारत अंतरिक्ष में खोज के लिए संसाधनों के निर्माण और साझा अंतरिक्ष तकनीक के विकास पर आम सहमति बनाने में अधिक निवेश कर रहा है। 
        • राष्ट्रीय सुरक्षा: उदाहरण के लिए- भारत और अमेरिका ने स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस पर समझौता किया है। इसके तहत भारत अपने स्पेस एसेट्स पर खतरों को कम करने के लिए अमेरिकी रडार और सेंसर नेटवर्क का उपयोग कर सकता है।
        • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण: इसके जरिए बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है।
          • उदाहरण के लिए- यूनिस्पेस नैनोसैटेलाइट असेंबली एंड ट्रेनिंग बाय इसरो यानी उन्नति (UNNATI) पहल के तहत विदेशी इंजीनियरों/ वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित शिक्षा प्रदान की जाती है।
          • संघर्ष मुक्त अंतरिक्ष: भारत ने आउटर स्पेस का शांतिपूर्ण उद्देश्यों से उपयोग करने और इसे संघर्ष से मुक्त रखने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
      • चुनौतियां: 
        • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्रक की भागीदारी की कमी है, 
        • डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए मिशन की संख्या कम है, 
        • बहुपक्षीय अंतरिक्ष साझेदारी का अभाव है, आदि।

     

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