सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, मलेशिया के प्रधान मंत्री ने भारत की राजकीय यात्रा की।
यात्रा के मुख्य आउटकम्स पर एक नज़र
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी: दोनों देशों के बीच 2015 में "एनहैंस्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप" स्थापित हुई थी, जिसे बाद में "कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप" में अपग्रेड किया गया।
- मलेशिया IBCA में शामिल होगा: मलेशिया ने इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) में इसके संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल होने का निर्णय लिया था।
- IBCA को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर अप्रैल, 2023 में भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किया गया था। IBCA का लक्ष्य सात प्रमुख बड़ी बिग कैट प्रजातियों (बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता) की सुरक्षा व संरक्षण सुनिश्चित करना है। IBCA को उन 97 देशों के सहयोग से शुरू किया गया है, जहां पर बिग कैट की ये प्रजातियां पाई जाती हैं।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी सहयोग: डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और मलेशिया-भारत डिजिटल परिषद की शीघ्र बैठक आयोजित करने का समर्थन किया गया।
- डिजिटल परिषद, दोनों देशों के मध्य डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर, डिजिटल B2B (व्यवसाय से व्यवसाय) साझेदारी, डिजिटल क्षमता निर्माण, साइबर सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे- 5G, क्वांटम कंप्यूटिंग) के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
- भारत-मलेशिया स्टार्ट-अप गठबंधन: इसके माध्यम से दोनों देशों में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को मजबूत किया जाएगा।
- AITIGA की समीक्षा के लिए समर्थन: दोनों देशों ने आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा प्रक्रिया को समर्थन देने और इसमें तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की है, ताकि इसे व्यापार के लिए और अधिक सुविधाजनक एवं लाभकारी बनाया जा सके।
भारत के लिए मलेशिया का महत्त्व
- भू-राजनीतिक महत्त्व: दक्षिण चीन सागर में बोर्नियो द्वीप पर सारावाक राज्य के पास एक तेल समृद्ध समुद्री क्षेत्र है। मलेशिया इस क्षेत्र में तेल और गैस की खोज की अपनी योजना संचालित कर रहा है। चीन मलेशिया की इस योजना का विरोध कर रहा है और मलेशिया से इस योजना को वापस लेने की मांग कर रहा है। चीन की इस मांग के खिलाफ मलेशिया का मजबूत रुख संप्रभुता बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- मलेशिया का यह रुख एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- भारत की एक्ट ईस्ट नीति: मलेशिया आसियान के साथ भारत के व्यापार को बढ़ाने, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के साथ तालमेल बिठाने तथा आसियान के इंडो-पैसिफिक पर्सपेक्टिव (AOIP) और इंडो-पैसिफिक इनिशिएटिव (IPOI) का समर्थन करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- समुद्री संचार मार्गों (SLOC) को सुरक्षित करना: मलक्का जलडमरूमध्य के निकट मलेशिया की भौगोलिक अवस्थिति, हिंद महासागर क्षेत्र में महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों और समुद्री संचार मार्गों (SLOCs) की सुरक्षा में इसके सामरिक महत्त्व को काफी हद तक बढ़ाती है।
- चूंकि मलक्का जलडमरूमध्य अंडमान सागर के भी करीब है, इसलिए यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग: भारत मलेशिया को एक मजबूत ग्लोबल साउथ पार्टनर के रूप में देखता है। मलेशिया ने भारत के नेतृत्व में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट (VOGSS) के सभी तीन शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है।
- हाल ही में, भारत ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने के मलेशिया के अनुरोध पर उसके साथ काम करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
भारत-मलेशिया संबंधों के बारे में
- पृष्ठभूमि: भारत ने 1957 में मलाया संघ (मलेशिया का पूर्ववर्ती नाम) के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
- आर्थिक: वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 20.01 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। इससे मलेशिया भारत का 16वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया था। मलेशिया आसियान समूह में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- प्रमुख पहलों में मलेशिया-भारत व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (MICECA) की संयुक्त समिति की बैठक, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयास तथा दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच सहयोग शामिल है।
- ऑयल पाम कूटनीति: भारत हर साल 9.7 मिलियन टन ऑयल पाम आयात करता है। इसमें से केवल मलेशिया से तीन मिलियन मीट्रिक टन का आयात किया जाता है।
- मलेशिया ने भारत के राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को अपना समर्थन प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके अंतर्गत वह भारत को अनुसंधान एवं विकास, गुणवत्ता युक्त बीजों की आपूर्ति एवं साझेदारी युक्त प्रबंधन के अनुभव जैसी सेवाएं प्रदान करेगा।
- रक्षा सहयोग: मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग के दायरे में संयुक्त उद्यम, संयुक्त विकास परियोजनाएं, खरीद, लॉजिस्टिक्स और रखरखाव समर्थन एवं प्रशिक्षण शामिल हैं।
- मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति (MIDCOM) वार्षिक आधार पर रक्षा सहयोग में प्रगति की समीक्षा करने के लिए नियमित रूप से बैठक करती है।
- 2023 में कुआलालंपुर में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पहले क्षेत्रीय कार्यालय का भी उद्घाटन किया गया।
- लोगों का आपस में जुड़ाव: मलेशिया में भारतीय मूल के दो मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। इस प्रकार, संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के बाद तीसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय मलेशिया में रहता है।
भारत-मलेशिया संबंधों में चुनौतियां
- कमजोर आर्थिक सहयोग: भारत-मलेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार, मलेशिया-चीन द्विपक्षीय व्यापार (100 बिलियन डॉलर से अधिक) की तुलना में बहुत कम है। चावल, चीनी और प्याज पर भारत के निर्यात प्रतिबंधों ने मलेशिया की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित किया है।
- रक्षा संबंध: भारत मलेशिया के साथ रक्षा समझौते करने में संघर्ष कर रहा है। 2023 में, मलेशिया ने भारत के तेजस की जगह दक्षिण कोरिया के FA-50 जेट को चुना था, बावजूद इसके कि तेजस रूसी और पश्चिमी लड़ाकू विमानों से अधिक कारगर एवं सस्ता था।
- राजनीतिक तनाव: कश्मीर में भारत की कार्रवाई और नागरिकता संशोधन अधिनियम की मलेशिया द्वारा आलोचना से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा है।
- प्रत्यर्पण संबंधी मुद्दा: मलेशिया ने जाकिर नाइक के लिए 2017 से भारत के प्रत्यर्पण अनुरोधों को बार-बार अस्वीकार किया है, जिससे तनाव पैदा हुआ है।
- चीन के साथ संबंध: मलेशिया चीन के साथ शांति की नीति को प्राथमिकता देता है, सार्वजनिक टकराव से बचता है और विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर पर विवेकपूर्ण वार्तालाप पर ध्यान केंद्रित करता है।
- चीन मलेशिया के साथ मिलकर मेलाका डीप सी पोर्ट परियोजना को विकसित कर रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल क्षेत्र में चीन का आर्थिक प्रभाव बढ़ाना है, बल्कि सिंगापुर के व्यापारिक वर्चस्व को चुनौती देना और मलक्का जलडमरूमध्य पर निर्भरता को कम करना भी है। साथ ही, क्रा इस्थमस में एक नहर निकाल कर चीन एक नया समुद्री मार्ग विकसित करना चाहता है ताकि मलक्का जलडमरूमध्य को बायपास किया जा सके।
- श्रम शोषण: भारतीय प्रवासी श्रमिकों को मलेशियाई खेतों में उत्पीड़न और शोषण का सामना करना पड़ता है। इससे बंधुआ मजदूरी के बारे में चिंता बढ़ जाती है।
मलेशिया के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
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भारत-मलेशिया संबंधों को और बेहतर बनाने की दिशा में आगे की राह
- आर्थिक सहयोग को मजबूत करना: दोहरे कराधान से बचना, सीमा शुल्क सहयोग, बेहतर हवाई कनेक्टिविटी और एयरलाइन सहयोग जैसी पहलों से दोनों देशों के बीच व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है।
- AITIGA की समीक्षा का शीघ्र कोई निष्कर्ष निकालना; मलेशिया में एक मजबूत भारतीय प्रवासी समुदाय; चीन की तुलना में युवा आबादी तथा तेजी से हो रहा डिजिटलीकरण भविष्य में आपसी व्यापार की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अच्छे संकेत हैं।
- भारत के वैश्विक व्यापार में 11% की हिस्सेदारी के साथ आसियान भारत के प्रमुख व्यापार साझेदारों में से एक है। AITIGA के अपग्रेडेशन से द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा।
- AITIGA की समीक्षा का शीघ्र कोई निष्कर्ष निकालना; मलेशिया में एक मजबूत भारतीय प्रवासी समुदाय; चीन की तुलना में युवा आबादी तथा तेजी से हो रहा डिजिटलीकरण भविष्य में आपसी व्यापार की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अच्छे संकेत हैं।
- रक्षा सहयोग को मजबूत करना: रक्षा संबंधों में भू-राजनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, भारत की विदेश नीतियों और पहुंच को दक्षिण कोरिया की न्यू सदर्न पॉलिसी (NSP) के अनुरूप रक्षा सहयोग को भी गहरा करना चाहिए।
- हालिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद तथा अन्य पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए सूचनाओं एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने पर सहमति व्यक्त की। इससे आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच गठजोड़ को तोड़ा जा सकेगा।
- भारत के नेतृत्व वाली पहलों पर सहयोग: दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए मलेशिया को भारत की वैश्विक पहलों (जैसे- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन) में शामिल किया जा सकता है।
- सॉफ्ट पावर
- पारंपरिक औषधियां: दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों ने साझेदारी को बेहतर बनाने के लिए मलेशिया में भारत के आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (ITRA) द्वारा आयुर्वेद पीठ की स्थापना पर सहमति प्रकट की है। दोनों पक्षों ने फार्माकोपिया सहयोग पर समझौता ज्ञापन को जल्द से जल्द पूरा करने पर भी सहमति जताई है।
- सांस्कृतिक कूटनीति: मलेशिया अपनी बड़ी बौद्ध आबादी के साथ भारत द्वारा पर्यटन को बढ़ाने संबंधी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उदाहरण के लिए, भारत की 'बौद्ध सर्किट' पहल, जो बौद्ध पर्यटकों को महात्मा बुद्ध के विरासत स्थलों से जोड़ती है।
- मलेशिया में तिरुवल्लुवर भारतीय अध्ययन पीठ की स्थापना के लिए चर्चा शुरू हो गई है।