बनारसी शहनाई और बनारसी तबला
बनारसी शहनाई और बनारसी तबले को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया।
बनारसी शहनाई के बारे में
- यह एक भारतीय सुषिर वाद्य यंत्र है। यह ओबो वाद्य यंत्र के समान है। इसकी सतह पर सात छेद होते हैं।
- शहनाई का संबंध देश के मंदिर संगीत से है।
- अधिकांश भारतीय विवाहों में शहनाई वादन शुभ माना जाता है।
- इसे वैश्विक पहचान महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के माध्यम से मिली।
बनारसी तबले के बारे में
- बनारस तबला घराने का विकास 200 साल पहले सुविख्यात पंडित राम सहाय ने किया था।
- बनारस घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत में छह प्रमुख तबला घरानों में से एक है।
- प्रसिद्ध तबला वादक पद्म विभूषण पंडित किशन महाराज हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने से संबंधित थे।
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- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
कन्नडिप्पया जनजातीय शिल्प
कन्नडिप्पया भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त करने वाला केरल का पहला जनजातीय हस्तशिल्प बन गया है।
कन्नडिप्पया के बारे में
- यह एक सुंदर बुनी हुई चटाई है। इसे "मिरर मैट" (दर्पण चटाई) भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी बनावट में विशिष्ट परावर्तक पैटर्न होता है।
- यह चटाई रीड बांस की कोमल भीतरी परतों से बनाई जाती है। इसकी विशेषता यह है कि यह सर्दियों में गर्माहट और गर्मियों में ठंडक प्रदान करती है।
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फसल कटाई उत्सव
भारत के अलग-अलग हिस्सों में पारंपरिक फसल कटाई उत्सव मनाए जा रहे हैं।
- ये त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन और अच्छी फसल के लिए धन्यवाद के रूप में मनाए जाते हैं। यह नए साल का पहला दिन भी होता है, जो नई शुरुआत का प्रतीक है।
भारत में पारंपरिक फसल उत्सव
- बैसाखी (पंजाब): यह रबी फसल की कटाई की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भांगड़ा और गिद्दा नृत्य किए जाते हैं।
- विशु (केरल और तमिलनाडु): यह त्योहार वसंत विषुव (जब दिन और रात की अवधि बराबर होती है) का प्रतीक है।
- पोइला बोइशाख (पश्चिम बंगाल): इस दिन व्यापारी नए वित्त वर्ष की शुरुआत नई खाता बही खोलकर करते हैं, जिसे हाल खाता के नाम से भी जाना जाता है।
- अन्य प्रमुख उत्सव:
- बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू (असम),
- पुथंडु (तमिलनाडु),
- मकर संक्रांति (महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना),
- लोहड़ी (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर),
- पोंगल (तमिलनाडु) आदि।
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पद्म पुरस्कार (PADMA AWARDS)
भारत की राष्ट्रपति ने सिविल इन्वेस्टिट्चर समारोह-I में पद्म पुरस्कार 2025 प्रदान किए।
पद्म पुरस्कारों के बारे में
- ये भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल हैं।
- प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले व्यक्तियों के नाम घोषित किए जाते हैं।
- पद्म पुरस्कारों की निम्नलिखित तीन श्रेणियां हैं:
- पद्म विभूषण- असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए;
- पद्म भूषण- उच्च स्तर की विशिष्ट सेवा के लिए; तथा
- पद्म श्री- विशिष्ट सेवा के लिए।
- ये पुरस्कार उन सभी क्षेत्रों में उपलब्धियों को सम्मानित करते हैं, जहां सार्वजनिक सेवा का कोई तत्व शामिल हो।
- पद्म पुरस्कारों का इतिहास: 1954 में प्रारंभ किए गए थे।
- 1978–79 और 1993–97 के दौरान पद्म पुरस्कार प्रदान नहीं किए गए थे।
- पद्म पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया:
- नामों की सिफारिशें पद्म पुरस्कार समिति द्वारा की जाती हैं। इस समिति का गठन प्रत्येक वर्ष प्रधान मंत्री द्वारा किया जाता है।
- आम लोग भी किसी व्यक्ति के नाम का सुझाव दे सकते हैं। हालांकि, कोई व्यक्ति अपने स्वयं के नाम की सिफारिश नहीं कर सकता।
- यह कोई 'उपाधि' (टाइटल) नहीं है: पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वाला व्यक्ति इस पुरस्कार का नाम अपने नाम के आगे या पीछे नहीं जोड़ सकता।
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- सिविल इन्वेस्टिट्चर समारोह-I
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