हाल ही में, अमर जैन बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ई-गवर्नेंस और कल्याणकारी वितरण प्रणालियों तक समावेशी एवं सार्थक डिजिटल पहुंच, जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का एक हिस्सा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जुड़े हुए मुख्य बिंदु
- डिजिटल नो-योर-कस्टमर (KYC) मानदंडों को संशोधित करने का निर्देश दिया गया: यह सुनिश्चित करना होगा कि एसिड अटैक के कारण चेहरे की विकृति वाले व्यक्ति और दृष्टिहीन बैंकिंग एवं ई-गवर्नेंस सेवाओं के लाभ से वंचित न हों।
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत न्यायालय ने eKYC प्रक्रिया को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाने हेतु 20 निर्देशों का एक सेट जारी किया है।
- 'मौलिक समानता के सिद्धांत' को लागू करना: डिजिटल परिवर्तन समावेशी और न्यायसंगत दोनों होना चाहिए।
- अनुच्छेद 21 का हिस्सा: डिजिटल पहुंच का अधिकार जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक अनिवार्य हिस्सा है।
- राज्य का दायित्व: संविधान के अनुच्छेद 21, 14, 15 और 38 के तहत, राज्य सभी कमजोर एवं हाशिए पर रहने वाली आबादी के लिए डिजिटल अवसंरचना सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है।
- अनुच्छेद 21: सम्मानजनक जीवन का अधिकार; अनुच्छेद 14: समानता का अधिकार; अनुच्छेद 15: भेदभाव के खिलाफ अधिकार; तथा अनुच्छेद 38: राज्य को सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का निर्देश।
- समावेशी डिजिटल पहुंच का महत्त्व: आवश्यक सरकारी योजनाओं तक पहुंच; ग्रामीण-शहरी विभाजन में कमी; ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म्स और वित्तीय प्रौद्योगिकियों तक पहुंच; विकास प्रक्रिया में हाशिए पर रहे लोगों का शामिल होना आदि।
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