वैज्ञानिकों ने ITER नाभिकीय संलयन परियोजना (ITER nuclear fusion) के लिए मुख्य मैग्नेट सिस्टम का निर्माण पूरा कर लिया है। यह सिस्टम ITER के टोकामक रिएक्टर के कोर को ऊर्जा प्रदान करेगा।
- भारत ने इस परियोजना की कुछ सबसे महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है। इनमें विशाल क्रायोस्टैट कूलिंग सिस्टम और हीटिंग टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
टोकामक रिएक्टर के बारे में

- यह एक एक्सपेरिमेंटल मशीन है। इसे नाभिकीय संलयन ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- नाभिकीय संलयन वह प्रक्रिया है, जिसमें दो हल्के परमाणु नाभिक आपस में मिलकर एक भारी परमाणु नाभिक का निर्माण करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- यह पल्सड सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम पर कार्य करता है।
- इसे पहली बार 1960 के दशक के उत्तरार्ध में सोवियत अनुसंधान द्वारा विकसित किया गया था। बाद में इसे दुनिया भर में मैग्नेट फ्यूज़न उपकरणों के सबसे आशाजनक मॉडल के रूप में अपनाया गया था।
- ITER दुनिया का सबसे बड़ा टोकामक संयंत्र होगा। यह वर्तमान में संचालित सबसे बड़ी टोकामक मशीन जापान की JT-60SA, से दोगुने आकार का और उससे छह गुना प्लाज्मा चैम्बर आयतन वाला होगा।
इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) के बारे में
- यह 30 से अधिक देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है। यह रिएक्टर दक्षिणी फ्रांस में स्थित है।
- ITER के सदस्य: चीन, यूरोपीय संघ (Euratom के माध्यम से), भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका।
- उद्देश्य: यह प्रदर्शित करना कि हमारे सूर्य और तारों की ऊर्जा के स्रोत नाभिकीय संलयन हेतु पृथ्वी पर पर्याप्त, सुरक्षित और कार्बन-मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में व्यावहारिक है या नहीं।
- यूरोपीय संघ इस परियोजना का होस्ट होने के नाते इसमें 45% का वित्त-पोषण प्रदान करता है. जबकि अन्य प्रत्येक पक्ष 9% का योगदान करता है।