लोक सभा ने ‘मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025’ और राज्य सभा ने ‘कैरेज ऑफ गुड्स बाय सी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी है।
- 'मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025' का उद्देश्य भारत के समुद्री कानूनों को मार्पोल/ MARPOL और रेक रिमूवल कन्वेंशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुरूप बनाना है।
- 'कैरेज ऑफ गुड्स बाय सी विधेयक, 2025' का उद्देश्य व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देना है।
विधेयकों के प्रमुख प्रावधानों पर एक नजर
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025 मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की जगह लेगा।
- सभी जहाजों का अनिवार्य पंजीकरण: जहाज के प्रणोदन या वजन के प्रकार के बावजूद सभी जहाजों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसमें पुनर्चक्रण के लिए जहाजों के अस्थायी पंजीकरण का भी प्रावधान है।
- जहाजों की परिभाषा का विस्तार: अब इसमें मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट्स, सब्मर्सिबल्स और नॉन-डिसप्लेसमेंट क्राफ्ट्स भी शामिल हैं।
- स्वामित्व मानदंड: इसमें अब भारतीय नागरिक, भारतीय कानूनों के अनुसार स्थापित कंपनी/ निकाय, पंजीकृत सहकारी समितियां, ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCIs) आदि द्वारा आंशिक स्वामित्व वाले पोत भी शामिल किए जाएंगे।
- राष्ट्रीय पोत परिवहन बोर्ड और राष्ट्रीय नाविक कल्याण बोर्ड: 1958 के अधिनियम के प्रावधानों को इसमें भी बरकरार रखा गया है।
- नाम में परिवर्तन: 'डायरेक्टर-जनरल ऑफ शिपिंग' का नाम बदलकर 'डायरेक्टर-जनरल ऑफ मरीन एडमिनिस्ट्रेशन' कर दिया गया है। इसे समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण को विनियमित करने का अधिकार दिया गया है।
- नाविक समझौतों का विस्तार: इसमें अधिक पक्षकारों को शामिल किया जाएगा। इससे नाविकों के लिए सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित होगी।
- समुद्र में प्रदूषण की रोकथाम: इसमें सभी जहाजों के लिए, उनके टन भार पर ध्यान दिए बिना, प्रदूषण प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया गया है।
- सभी जहाजों का अनिवार्य पंजीकरण: जहाज के प्रणोदन या वजन के प्रकार के बावजूद सभी जहाजों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसमें पुनर्चक्रण के लिए जहाजों के अस्थायी पंजीकरण का भी प्रावधान है।
- कैरेज ऑफ गुड्स बाय सी विधेयक, 2025 (इंडियन कैरेज ऑफ गुड्स बाय सी एक्ट, 1925 का स्थान लेगा)
- हेग-विस्बी नियमों (1924) को अपनाना: ये नियम और उनके बाद के संशोधन दुनिया भर में स्वीकृत समुद्री मानक हैं।
- केंद्र सरकार की भूमिका: केंद्र सरकार को बिल ऑफ लैडिंग से संबंधित दिशा-निर्देश जारी करने और नियमों में संशोधन करने का अधिकार होगा।
- बिल ऑफ लैडिंग वह दस्तावेज होता है, जिसे मालवाहक कंपनी माल भेजने वाले को देती है। इसमें माल का प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य की जानकारी होती है।