यह परियोजना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की सहायता से विकसित की गई है। यह संयंत्र प्रतिदिन 12 टन CBG का उत्पादन करेगा और गुड़ व शीरे से 75 टन पोटाश का उत्पादन करेगा।
- NCDC की स्थापना 1963 में की गई थी। यह सहकारिता मंत्रालय के तहत एक सांविधिक संगठन है। इसका उद्देश्य किसान सहकारी समितियों का विकास करना है।
कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) के बारे में
- CBG को कच्ची बायोगैस से तैयार किया जाता है। इसका संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के समान एक स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- कच्ची बायोगैस बायोमास और अपशिष्ट स्रोतों, जैसे- कृषि अवशेष, पशु गोबर, खाद्य अपशिष्ट आदि के अवायवीय (anaerobic) अपघटन द्वारा तैयार की जाती है।
- बायोगैस में मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
- मीथेन (CH4): 55–60%;
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): 35–40%;
- अन्य अशुद्धियां: H2S, जलवाष्प आदि।
- हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), CO2 और जल वाष्प को हटाने के लिए कच्ची बायोगैस को शुद्ध किया जाता है। इससे मीथेन की सांद्रता 90% से अधिक हो जाती है। इसके बाद CBG प्राप्त करने के लिए इसे लगभग 200–250 बार के दबाव पर संपीडित (कंप्रेस्ड) किया जाता है।
CBG का महत्त्व
- ऊर्जा सुरक्षा: यह प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात को कम करने में मददगार है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- जलवायु लक्ष्य: यह प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करके राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों का समर्थन (उदाहरण: पंचामृत प्रतिबद्धताएं) करती है।
- अपशिष्ट प्रबंधन: यह अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देती है, जिससे स्वच्छ भारत मिशन में योगदान मिलता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था: यह किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करती है और ग्रामीण रोजगार के अवसर सृजित करती है।
CBG को बढ़ावा देने के लिए पहलें
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