इस रोडमैप का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य उन्नत तकनीकों की क्षमता का उपयोग करके भारत में असंगठित क्षेत्र के 490 मिलियन श्रमिकों की आजीविका में परिवर्तन लाना है।
भारत में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की वर्तमान स्थिति:

- सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्रक: देश की लगभग 90% श्रमशक्ति असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं।
- कम उत्पादकता: इनकी औसत उत्पादकता लगभग 5 डॉलर प्रति घंटा है, जो राष्ट्रीय औसत का लगभग आधा है।
- सामाजिक सुरक्षा कवरेज की कमी: असंगठित क्षेत्र के केवल 48% श्रमिकों को ही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के सामने प्रमुख चुनौतियां:
- अस्थिर वित्तीय स्रोत: नियमित रूप से पारिश्रमिक नहीं मिलना, पारिश्रमिक भुगतान में देरी, अनुबंधों की कमी, और समय पर कई लाभ नहीं मिलना।
- बाजार और मांग तक पहुँच: श्रम बाजार विभाजित होना, रोजगार करने के प्रमाण की कमी, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उनकी विजिबिलिटी कम होना।
- कौशल और तकनीक अपनाने की कमी: इनमें पुरानी कार्यप्रणालियां, औपचारिक प्रशिक्षण का अभाव (केवल 2-5% को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त), तथा श्रमिक डेटा की कमी शामिल हैं।
- सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा: इनमें कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों की कमी, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन का लाभ नहीं मिलना तथा कार्य की वजह से दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे नहीं मिलना जैसी चुनौतियां शामिल हैं ।
- उत्पादकता की कमी: इसकी वजहें हैं; मैनुअल तरीके से कामकाज होना, मशीनीकरण की कमी, और डिजिटल उपकरणों का अभाव।
नीति आयोग की प्रमुख सिफारिशें:
- मिशन डिजिटल श्रमसेतु: AI के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को सशक्त बनाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की शुरुआत की जानी चाहिए। इस कदम से भविष्य के लिए तैयार श्रम बल सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
- समावेशी AI फ्रेमवर्क: साक्षरता और भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए बहुभाषी, वॉयस-फर्स्ट AI टूल विकसित करने की आवश्यकता है।
- बहु-हितधारक सहभागिता: राज्यों और सामुदायिक नेटवर्क के माध्यम से स्थानीय स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए।
- मौजूदा डिजिटल योजनाओं का एकीकरण: योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए ई-श्रम और उद्यम जैसे प्लेटफॉर्म के साथ AI को एकीकृत किया जाना चाहिए।