भारत ने अपने प्रमुख पंचामृत लक्ष्य में से एक को निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले ही हासिल कर लिया है। यह लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% स्थापित विद्युत ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। भारत द्वारा पंचामृत लक्ष्य की घोषणा COP-26 के दौरान की गई थी
- वर्तमान में भारत में विद्युत उत्पादन में गैर-जीवाश्म ईंधन का योगदान 51% (256 गीगावाट), और जीवाश्म ईंधन का योगदान 49% (244 गीगावाट) हो गया है।
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी:
- सौर- 127 गीगावाट,
- पवन- 53 गीगावाट, तथा
- जलविद्युत- 47 गीगावाट।
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा संबंधी मुख्य पहलें
- PLI योजना: इसका उद्देश्य उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- पीएम-कुसुम: यह ग्रिड से कनेक्टेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और कृषि में उपयोग होने वाले वाटर पम्प को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए शुरू की गई है।
- ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।
- हरित ऊर्जा गलियारा: इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा के वितरण के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करना है।
- रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशंस (RPOj) संबंधी बाध्यता: यह विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न विद्युत का एक निर्धारित प्रतिशत खरीदना अनिवार्य करता है।
नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार करने के समक्ष प्रमुख मुद्दे
- ग्रिड एवं विद्युत भंडारण संबंधी बाधाएं: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अस्थिर और अप्रत्याशित होते हैं, क्योंकि ये मौसम की दशाओं पर निर्भर होते हैं।
- ट्रांसमिशन संबंधी बाधाएं: सौर संयंत्र एक वर्ष के भीतर तैयार हो सकते हैं, लेकिन ट्रांसमिशन लाइनों को बनाने में ढाई वर्ष तक का समय लग जाता है।
- वित्त-पोषण जोखिम: अहस्ताक्षरित बिजली खरीद समझौते और वित्तीय रूप से कमजोर डिस्कॉम नवीकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजनाओं को शुरू करने में बाधा डालते हैं।
- आयात पर उच्च निर्भरता: विदेशी सौर मॉड्यूल्स और महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्भरता बनी हुई है।
- भूमि की उपलब्धता में देरी एवं नीतिगत बाधाएं: इसमें भूमि अधिग्रहण संबंधी बाधाएं और राज्यों के मध्य विनियम संबंधी समन्वय का न होना परियोजना के क्रियान्वयन को धीमा कर देते हैं।
आगे की राह
- विद्युत भंडारण संबंधी अवसंरचना में निवेश: इसके तहत बड़े पैमाने पर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को स्थापित किया जाना चाहिए।
- मजबूत अवसंरचना: हरित ऊर्जा गलियारे को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए तथा भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
- घरेलू विनिर्माण: सौर मॉड्यूल, बैटरी और ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के घरेलू स्तर पर उत्पादन का विस्तार करना चाहिए।
- नीतिगत स्थिरता: विनियमन को लेकर स्पष्टता सुनिश्चित करनी चाहिए तथा विकेन्द्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सोलर रूफटॉप को बढ़ावा देना चाहिए।