इस रोडमैप में अत्यधिक प्रभाव उत्पन्न करने वाले क्षेत्रकों की पहचान की गई है। इन्हें पांच मुख्य समूहों (क्लस्टर्स) में बांटा गया है। साथ ही, निम्नलिखित चार अत्याधुनिक अग्रणी प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए प्राथमिकता भी दी गई है:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग (AI/ ML), एडवांस्ड मटेरियल, डिजिटल ट्विन्स और रोबोटिक्स।
भारत के विनिर्माण क्षेत्रक में रूपांतरण लाने के लिए आवश्यक कदम
- वर्तमान स्थिति: ऐतिहासिक रूप से भारत के विनिर्माण क्षेत्रक का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 15–17% का योगदान रहा है, जो अपने विकास के चरम पर रहे पूर्वी एशियाई देशों की तुलना में काफी कम है।
- संरचनात्मक चुनौतियां: अनुसंधान एवं विकास में सीमित निवेश के कारण 'क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन' सीमित हो रहा है। साथ ही, विखंडित मूल्य श्रृंखलाएं स्थिरता, प्रसार और एकीकरण को बाधित कर रही हैं। इसमें विनियामक जटिलता और नीतिगत अनिश्चितता आदि भी शामिल है।
- क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन: इसका अर्थ है जब नई तकनीक, नए विचार या नए उत्पाद बाजार में आते हैं और पुराने तरीकों या वस्तुओं की जगह ले लेते हैं।
- अवसर लागत: यदि अत्यधिक प्रभाव उत्पन्न करने वाले क्षेत्रकों में अग्रणी प्रौद्योगिकियों को नहीं अपनाया जाता है, तो वर्ष 2035 तक भारत के विनिर्माण क्षमता से प्राप्त होने वाली 270 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त GDP से वंचित रहने की संभावना है।
रूपांतरण के चार स्तंभ: अग्रणी प्रौद्योगिकी के लिए आगे की राह
