राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारियों की बार-बार हड़तालें और आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य स्तर पर विरोध प्रदर्शन, भारत की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में गहरी जड़ें जमा चुकी संरचनात्मक कमजोरियों को उजागर करते हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को समर्थन देने वाले प्रमुख कर्मचारी वर्ग

प्रमुख चुनौतियां
- जिम्मेदारियों में वृद्धि: इन्हें आबादी की गणना, गैर-संक्रामक बीमारियों की निगरानी और पैलिएटिव केयर जैसे अतिरिक्त कार्य सौंपे गए हैं, लेकिन समान वेतन या समर्थन नहीं मिलता है।
- कम पारिश्रमिक और संरक्षण: इनका पारिश्रमिक कम होता है और उसके भुगतान में भी देरी होती है। साथ ही, फील्ड वर्क के दौरान सुरक्षा की कमी रहती है, क्योंकि इन्हें अभी भी स्वयंसेवक माना जाता है।
- यूनियन और हड़तालें: यूनियन की बढ़ती मौजूदगी असंतोष को दर्शाती है। केरल और हरियाणा की आशा कार्यकर्ताएं तथा देश भर की आंगनबाड़ी यूनियंस कर्मियों को स्थाई करने और उचित वेतन की मांग कर रही हैं।
- रिक्त स्थायी पद: लगभग 10-15% सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) के पद और 20-25% डॉक्टर के पद रिक्त हैं।
- संविदाकरण की प्रवृत्ति: संविदा आधारित नियुक्तियों में वृद्धि लागत में कटौती और प्रशासन में आसानी को दर्शाती है, लेकिन इसमें करियर संबंधी विकास या स्पष्ट कैडर संरचना का अभाव होता है।
निष्कर्ष
भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक संतुलित कार्यबल मॉडल, पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया, उचित प्रोत्साहन और निरंतर क्षमता निर्माण करना आवश्यक है।