वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में संघर्ष, व्यापार युद्ध, एकतरफा टैरिफ आदि शामिल हैं। इससे इस संभावना को बल मिला है कि भारत को एक 'उत्पाद राष्ट्र' (Product Nation) बनने का प्रयास करना होगा।
उत्पाद राष्ट्र के बारे में
- एक उत्पाद राष्ट्र वह देश होता है, जो उच्च-मूल्य वाले उत्पादों का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन और निर्यात करता है। इससे वह निवल आयातक की बजाय निवल उत्पादक बन जाता है।
- एक उत्पाद राष्ट्र न केवल नवाचार करता है, बल्कि यह विविध क्षेत्रकों में बौद्धिक संपदा (IP)-आधारित समाधानों का भी निर्माण और निर्यात करता है।
इस बदलाव की आवश्यकता क्यों है?
- रणनीतिक लाभ: किसी देश के उत्पाद जितने अधिक रणनीतिक महत्त्व के होते हैं, उनका रणनीतिक प्रभाव भी उतना ही अधिक होता है।
- उदाहरण के लिए- ताइवान दुनिया के सबसे उन्नत चिप्स उत्पादनकर्ताओं में से एक है। चीन दुर्लभ भू-खनिजों (rare earth minerals) का अग्रणी उत्पादक है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाना: IP-आधारित डिजाइनों के माध्यम से भारत स्वयं के ब्रांडेड उच्च-मूल्य वाले उत्पादों का निर्माण करके यह लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।
- आर्थिक लचीलापन बढ़ाना: एक मजबूत विनिर्माण और नवाचार वाली उत्पाद-आधारित अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ावों के प्रति अधिक लचीली होती है।
भारत को ‘उत्पाद राष्ट्र’ बनाने के लिए शुरू की गई पहलें
- उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं: लक्षित व प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों के माध्यम से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रकों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- डिजाइन-से संबद्ध प्रोत्साहन योजना: सेमीकंडक्टर डिजाइन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के साथ-साथ डिजाइन अवसंरचना निर्माण को भी प्रोत्साहन प्रदान करना।
- प्रमुख नवाचार मिशन: इनमें राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, अटल इनोवेशन मिशन, इंडियाAI मिशन आदि शामिल हैं।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: इसे आर्थिक संवृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है।
आगे की राह
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