भारत ने SCO व्यापार मंत्रियों की बैठक में WTO को केंद्र में रखते हुए खुली, निष्पक्ष, समावेशी और भेदभाव-रहित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर ज़ोर दिया।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बारे में
- मुख्यालय: जिनेवा (स्विट्जरलैंड)।
- स्थापना: इसे 1995 में मार्राकेश समझौते के बाद स्थापित किया गया था। इसने जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) का स्थान लिया है।
- सदस्य: 166 देश (भारत 1995 से सदस्य है)।
- WTO के सिद्धांत: बिना भेदभाव के व्यापार और वार्ता के माध्यम से मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना; निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना आदि।
WTO के समक्ष मौजूद चुनौतियां
- पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH): स्टॉक होल्डिंग कार्यक्रमों को व्यापार को विकृत करने वाला माना जाता है। इनके तहत सरकारें किसानों से तय कीमतों पर अनाज खरीदती हैं। जैसे- भारत में MSP प्रणाली।
- विशेष एवं विभेदक व्यवहार (S&DT): ये वे विशेष प्रावधान हैं, जो विकासशील और अल्पविकसित देशों को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं तथा अन्य सदस्यों को उनके साथ अधिक तरजीही व्यवहार करने की अनुमति देते हैं।
- विकसित देश इन प्रावधानों को धीरे-धीरे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
- विवाद निपटान प्रणाली: WTO का अपीलीय निकाय (Appellate Body) 2019 से काम नहीं कर रहा है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने नियुक्तियों और पुनर्नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। इससे देशों के बीच व्यापार विवादों का समाधान प्रभावित हो रहा है।
- भू-राजनीतिक बदलाव: उदाहरण के लिए- अमेरिका की टैरिफ नीतियां, रूस-यूक्रेन युद्ध आदि।
- अन्य मुद्दे: डेटा गोपनीयता, डेटा प्रवाह, डिजिटल सेवाओं पर कराधान, जलवायु परिवर्तन, यूरोपीय संघ का कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म आदि।