इस रिपोर्ट के अनुसार, AI 'विकसित भारत' के विज़न को साकार करने के लिए 8% से अधिक आर्थिक संवृद्धि दर प्राप्त करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
- AI के व्यापक उपयोग से 2035 तक भारत की अनुमानित GDP 6.6 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 8.3 ट्रिलियन डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंच सकती है, यानी इससे आवश्यक संवृद्धि अंतराल के लगभग आधे हिस्से की पूर्ति की जा सकता है।
AI के अवसर: रिपोर्ट में उजागर किए गए तीन प्रमुख पहलू

- उद्योगों में AI को अपनाने में तेजी: यह आवश्यक संवृद्धि का 30-35% हिस्सा पूरा कर सकता है। उदाहरण के लिए- बैंकिंग और विनिर्माण में AI का उपयोग।
- जेनरेटिव AI से अनुसंधान और विकास का रूपांतरण: यह आवश्यक संवृद्धि में 20-30% का योगदान देगा। उदाहरण के लिए- AI-सक्षम दवा खोज, सॉफ्टवेयर-सहायक वाहन आदि।
- प्रौद्योगिकी सेवाओं में नवाचार: यह आवश्यक संवृद्धि में 15-20% का अतिरिक्त योगदान दे सकता है।
AI-आधारित मूल्य सृजन के संभावित परिणाम
- भारत को दुनिया की डेटा राजधानी बनाना: इसमें अनामीकृत (Anonymized) डेटा संग्रह फ्रेमवर्क्स बनाना, प्रमाणित गैर-व्यक्तिगत डेटा के लिए मार्केटप्लेस स्थापित करना आदि शामिल है।
- अनुकूलनीय और दक्ष AI-स्किलिंग इकोसिस्टम: यह कार्य कुशल पेशेवरों को विकसित करके, अनुसंधान को बढ़ावा देकर तथा AI मॉडल्स में योगदान देकर किया जा सकता है।
- क्षेत्रक-वार विकास को बढ़ावा: विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और मोटर वाहन उद्योगों में AI को सक्षम बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- भविष्य-के-लिए-तैयार रोजगार और उद्योग रूपांतरण: श्रमिकों का निरंतर कौशल विकास करना, फर्म-स्तर पर डिजिटलीकरण अपनाने की प्रक्रिया तेज करना आदि।
निष्कर्ष
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि मजबूत अवसंरचना, श्रम परिवर्तन पर ध्यान, उत्तरदायी गवर्नेंस और उद्योग-अकादमिक सहयोग के साथ भारत संवृद्धि का एक नया मॉडल पेश कर सकता है।