WHO ने ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ टुडे’ और ‘मेंटल हेल्थ एटलस 2024’ शीर्षक से दो नवीनतम रिपोर्ट्स जारी की हैं। इनमें वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के व्यापक प्रसार को उजागर किया गया है। इससे एक अरब से अधिक लोगों प्रभावित हो रहे हैं और साथ ही, इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा बोझ पड़ता है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- बढ़ता प्रसार: आकंड़ों के अनुसार 2021 में वैश्विक जनसंख्या का 14% हिस्सा मानसिक विकार से पीड़ित था।
- सबसे आम विकार: सभी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के दो-तिहाई से अधिक के लिए एंग्जायटी और अवसाद जैसे विकार जिम्मेदार हैं।
- लैंगिक असमानताएं: महिलाएं एंग्जायटी, अवसाद और ईटिंग डिसऑर्डर से अधिक ग्रस्त हैं।
- युवाओं पर प्रभाव: लगभग आधे मानसिक विकार 18 वर्ष की आयु से पहले ही शुरू हो जाते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों की अत्यधिक कमी: इसके लिए निम्नलिखित कारक जिम्मेदार हैं:
- अपर्याप्त निवेश जैसे सरकारें औसतन अपने स्वास्थ्य बजट का केवल 2% हिस्सा ही मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं,
- मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भारी कमी,
- उपचार की सीमित उपलब्धता, आदि।
मानसिक विकारों के परिणाम
- आत्महत्या: 2021 में, 15-29 वर्ष की महिलाओं में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या था। इसी आयु वर्ग के पुरुषों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या था।
- अनौपचारिक देखभाल का बोझ: अनौपचारिक देखभाल के तहत मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के उपचार पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है। इसकी वजह से परिवार के सदस्यों और अन्य अनौपचारिक देखभालकर्ताओं पर अत्यधिक सामाजिक, आर्थिक एवं भावनात्मक बोझ पड़ता है।
- आर्थिक परिणाम: कई देशों में मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का आर्थिक बोझ सकल घरेलू उत्पाद के 0.5% - 1.0% के बीच तक है।
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें
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