यह पोर्टल भारत की पांडुलिपि विरासत को डिजिटल बनाने में मदद करेगा। इससे इन्हें आसानी से एक्सेस किया जा सकेगा और सांस्कृतिक ज्ञान को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
- केंद्रीय बजट 2025-26 में ज्ञान भारतम मिशन की घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की पांडुलिपि विरासत का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण करना है।
पांडुलिपि (Manuscript) के बारे में
- ये कम-से-कम 75 साल पुरानी कागज, वृक्ष की छाल, कपड़ा, धातु, ताड़पत्र या किसी अन्य सामग्री पर हस्तलिखित रचनाएं होती हैं। इनका वैज्ञानिक, ऐतिहासिक या कलात्मक महत्त्व होता है।
- लिथोग्राफ और मुद्रित ग्रंथ पांडुलिपियां नहीं माने जाते हैं।
- लिथोग्राफ एक तकनीक है, जिसमें पत्थर पर चित्र, अक्षर आदि उकेर कर उसे कागज पर छापा जाता है।
- भारत के पास 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड' जैसी धरोहर है, जिसमें लगभग 1 करोड़ पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। ये 80 प्राचीन लिपियों में लिखी गई हैं, जैसे ब्राह्मी, कुषाण, गौड़ी, लेपचा, मैथिली आदि।
- इनमें से लगभग 75% संस्कृत में तथा 25% क्षेत्रीय भाषाओं में हैं।
- इनका महत्त्व
- ये मानव गतिविधियों के साक्ष्य प्रदान करती हैं।
- सदियों तक इनके विनाश के बावजूद ये ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा के प्रति पूर्वजों के समर्पण को दर्शाती हैं।
- ये समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक आदि पर ज्ञान प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए- कौटिल्य का अर्थशास्त्र।
पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
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