RBI ने NBFCs की निगरानी के लिए वित्त उद्योग विकास परिषद (FIDC) को स्व-विनियामक संगठन का दर्जा प्रदान किया | Current Affairs | Vision IAS
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RBI ने NBFCs की निगरानी के लिए वित्त उद्योग विकास परिषद (FIDC) को स्व-विनियामक संगठन का दर्जा प्रदान किया

Posted 04 Oct 2025

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आरबीआई ने एफआईडीसी को स्व-नियामक संगठन का दर्जा प्रदान किया है, जिससे संरचित निरीक्षण और अनुपालन तंत्र के माध्यम से एनबीएफसी के लिए बेहतर प्रशासन, क्षेत्र विकास और जोखिम प्रबंधन संभव हो सकेगा।

FIDC वस्तुतः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) का प्रतिनिधि निकाय है।

  • FIDC को स्व-विनियामक संगठन का दर्जा मिलने से NBFCs के लिए बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित होगा।

स्व-विनियामक संगठन (SRO) के बारे में

  • उद्देश्य: SRO का मुख्य उद्देश्य उस क्षेत्रक के विकास, सुधार और पारदर्शिता के लिए काम करना है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही, व्यापक वित्तीय प्रणाली के भीतर उद्योग से संबंधित महत्वपूर्ण चिंताओं का समाधान करना भी इसका उद्देश्य है।
  • कानूनी आधार: इसका कानूनी आधार विनियमित संस्थाओं (REs) के लिए स्व-विनियामक संगठनों (SROs) को मान्यता देने हेतु RBI का व्यापक फ्रेमवर्क, 2024 है।
  • SRO की पात्रता:
    • SRO का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में किया जाएगा।
    • इसकी पर्याप्त नेट वर्थ होनी चाहिए तथा इसकी शेयरहोल्डिंग अलग-अलग संस्थाओं के पास होनी चाहिए। साथ ही, उसे अपने क्षेत्रक की प्रतिनिधि संस्था होना चाहिए। कोई भी संस्था SRO की चुकता शेयर पूंजी का 10% या उससे अधिक नहीं रखेगी। 
  • SROs की जिम्मेदारियां:
    • सदस्यों के प्रति: इसमें आचार संहिता तैयार करना, शिकायत निवारण और विवाद समाधान/ मध्यस्थता फ्रेमवर्क स्थापित करना आदि शामिल हैं। 
    • विनियामक के प्रति: इसमें विनियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करना, संबंधित क्षेत्रक के विकास को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना और अग्रिम चेतावनी संबंधित रुझानों का पता लगाना शामिल है।
  • गवर्नेंस फ्रेमवर्क:
    • आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA)/ उप-नियमों द्वारा शासी निकाय के कामकाज के तरीके का प्रावधान और SRO के कार्यों को निर्धारित किया जाएगा।
    • निदेशक मंडल में अध्यक्ष सहित कम-से-कम एक तिहाई सदस्य स्वतंत्र होंगे।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के बारे में

  • यह कंपनी अधिनियम, 1956 या कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत होती है।
  • कार्य: ऋण देने की गतिविधियों में संलग्न होना, सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा जारी शेयरों/ स्टॉक्स/ बॉण्ड्स/ डिबेंचर/ प्रतिभूतियों का अधिग्रहण करना आदि। किंतु NBFC में ऐसी कोई संस्था शामिल नहीं होगी, जिनका मूल कारोबार कृषि कार्य, औद्योगिक गतिविधि, किसी वस्तु की खरीद बिक्री (प्रतिभूतियों के अलावा) अथवा कोई सेवा प्रदान करना तथा अचल संपत्ति की खरीद/बिक्री/निर्माण है।
  • बैंकों के विपरीत NBFC देय जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकती यह केवल सावधि जमाराशियां स्वीकार कर सकती है। ये भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं हैं। ये अपने ग्राहकों को चेक जारी नहीं कर सकती है। 
  • स्थिति: 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार RBI में 9000 से अधिक NBFCs पंजीकृत हैं।
  • Tags :
  • Companies Act, 1956
  • Finance Industry Development Council (FIDC)
  • Non-Banking Financial Company (NBFC)
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