FIDC वस्तुतः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) का प्रतिनिधि निकाय है।
- FIDC को स्व-विनियामक संगठन का दर्जा मिलने से NBFCs के लिए बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित होगा।
स्व-विनियामक संगठन (SRO) के बारे में
- उद्देश्य: SRO का मुख्य उद्देश्य उस क्षेत्रक के विकास, सुधार और पारदर्शिता के लिए काम करना है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही, व्यापक वित्तीय प्रणाली के भीतर उद्योग से संबंधित महत्वपूर्ण चिंताओं का समाधान करना भी इसका उद्देश्य है।
- कानूनी आधार: इसका कानूनी आधार विनियमित संस्थाओं (REs) के लिए स्व-विनियामक संगठनों (SROs) को मान्यता देने हेतु RBI का व्यापक फ्रेमवर्क, 2024 है।
- SRO की पात्रता:
- SRO का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में किया जाएगा।
- इसकी पर्याप्त नेट वर्थ होनी चाहिए तथा इसकी शेयरहोल्डिंग अलग-अलग संस्थाओं के पास होनी चाहिए। साथ ही, उसे अपने क्षेत्रक की प्रतिनिधि संस्था होना चाहिए। कोई भी संस्था SRO की चुकता शेयर पूंजी का 10% या उससे अधिक नहीं रखेगी।
- SROs की जिम्मेदारियां:
- सदस्यों के प्रति: इसमें आचार संहिता तैयार करना, शिकायत निवारण और विवाद समाधान/ मध्यस्थता फ्रेमवर्क स्थापित करना आदि शामिल हैं।
- विनियामक के प्रति: इसमें विनियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करना, संबंधित क्षेत्रक के विकास को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना और अग्रिम चेतावनी संबंधित रुझानों का पता लगाना शामिल है।
- गवर्नेंस फ्रेमवर्क:
- आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA)/ उप-नियमों द्वारा शासी निकाय के कामकाज के तरीके का प्रावधान और SRO के कार्यों को निर्धारित किया जाएगा।
- निदेशक मंडल में अध्यक्ष सहित कम-से-कम एक तिहाई सदस्य स्वतंत्र होंगे।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के बारे में
|