भारत के लिए नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) को विकास की संभावना वाले प्रमुख क्षेत्रक के रूप में देखा जा रहा है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की नीली अर्थव्यवस्था को साकार करना है। ऐसे में यह रणनीति (स्ट्रेटेजी) काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वर्तमान स्थिति: मात्स्यिकी संसाधनों की कुल संभावित क्षमता 7.16 मिलियन टन अनुमानित है। हालांकि, इस क्षमता का अभी भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाना बाकी है।
- प्रमुख चुनौतियां
- अवसंरचना और तकनीकी अभाव: केवल 90 फिसिंग हार्बर ही गहरे समुद्र में जाकर मछली पकड़ने वाले बड़े जहाजों को संभालने की क्षमता से युक्त हैं।
- गहरे समुद्र के संसाधनों का कुशलतापूर्वक दोहन भी एक तकनीकी चुनौती बनी हुई है।
- विनियामक खामियां: वर्तमान में भारत में अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर मछली पकड़ने और संबंधित गतिविधियों के लिए विनियामक कानूनों का अभाव है। इससे अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) रूप से मछली पकड़ने की समस्याएं बढ़ रही हैं।
इस क्षेत्रक के लिए शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलें
- प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY): यह 20,050 करोड़ रुपये के निवेश वाली पांच वर्षीय योजना (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक) है।
- PMMSY के तहत सरकार पारंपरिक मछुआरों को गहरे समुद्र में जाकर और अपतटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने वाले जहाज खरीदने या जहाजों में आवश्यकता अनुसार बदलाव करने हेतु 60% तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- अन्य: इसमें मात्स्यिकी और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF), राष्ट्रीय मात्स्यिकी नीति 2020, आदि शामिल है।
निष्कर्ष
रिपोर्ट में नीतियों में आवश्यक बदलाव और मछली पकड़ने वाले जहाजों के बेड़े के आधुनिकीकरण का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि सभी प्रकार की सब्सिडियों को कम-से-कम किया जाए और चरणबद्ध रूप से समाप्त कर दिया जाए।