विदेशी मुद्रा भंडार पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नवीनतम डेटा के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार यानी गोल्ड रिजर्व 102.3 बिलियन डॉलर का हो गया है।
- इस वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण का हिस्सा लगभग 15% हो गया है, जबकि एक दशक पहले यह लगभग 7% था।
RBI का स्वर्ण भंडार क्यों बढ़ रहा है?
- मुद्रा भंडार में विविधता लाने के लिए: विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति स्रोत में विविधता लाई जा रही है और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम किया जा रहा है। ये सारे प्रयास डी-डॉलेराइजेशन की दिशा में कदम हैं।
- जोखिम को कम करने के लिए: इससे मुद्रा की विनिमय दर में अस्थिरता और उसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने में मदद मिलेगी।
- मुद्रास्फीति से निपटने में सहायक: स्वर्ण भंडार को मुद्रास्फीति की स्थिति में संकट से बचाव के रूप में जमा किया जाता है। इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की क्रय शक्ति कम नहीं होती है।
- सुरक्षित निवेश परिसम्पत्ति होना: आर्थिक और भू-राजनीतिक संकट के दौरान स्वर्ण को सुरक्षित निवेश माना जाता है, जो वित्तीय संकट की स्थिति में बफर का कार्य करता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण का हिस्सा बढ़ाने से जुड़े जोखिम
- कम तरलता या कम आपूर्ति: आपूर्ति कम होने से स्वर्ण को नकदी में बदलने की प्रक्रिया धीमी और महंगी होती है।
- शून्य रिटर्न मिलना: जमा स्वर्ण पर कोई ब्याज नहीं मिलता वहीं मुद्रा जमा करने पर ब्याज मिलता है।
- भंडारण और सुरक्षा की अधिक लागत: धातु के रूप में स्वर्ण को भंडारित करने के लिए अधिक सुरक्षा की जरूरत पड़ती है। इससे लागत बढ़ जाती है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटक:
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