शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2024 में पहली बार पिछले दस सालों में ऐसा हुआ है कि 12वीं कक्षा में विज्ञान विषय (28.14 लाख) लेने वाली लड़कियों की संख्या आर्ट्स (27.24 लाख) लेने वाली लड़कियों की संख्या से ज़्यादा थीं।
- यह पारंपरिक लैंगिक प्रवृत्ति में एक बड़े बदलाव को प्रदर्शित करता है, क्योंकि अब तक यह माना जाता था कि विज्ञान केवल लड़कों का विषय है। लेकिन अब देश भर की लड़कियां भी इसे पूरे उत्साह से अपना रही हैं।
STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित) में महिलाएं
- स्थिति:
- हालांकि, अब भी विज्ञान विषय अपनाने में लड़कों की संख्या लड़कियों से ज्यादा है, लेकिन यह अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है। 2024 में विज्ञान स्ट्रीम से 12वीं पास करने वाले सभी छात्रों में से 46% लड़कियां थीं।
- ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE) 2021–22 के अनुसार, उच्चतर शिक्षा में विज्ञान विषय को 52.1% लड़कियों ने अपनाया था।
- मेडिकल क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी लड़कों के बराबर है और इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में भी उनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
- बाधाएं:
- सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंड (जैसे सीमित लैंगिक भूमिकाएं);
- रोल मॉडल की कमी (विज्ञान में कम महिला नेतृत्व दिखाई देने से लड़कियों की प्रेरणा कम होती है);
- कार्यस्थल पर असमानता (भेदभावपूर्ण कार्य संस्कृति) आदि।
- STEM में महिलाओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता क्यों है: STEM में लैंगिक समानता और विविधता सुनिश्चित करने के लिए; लैंगिक अंतराल को समाप्त करने के लिए; उनकी वैज्ञानिक क्षमता का दोहन करने के लिए आदि।
