यूनिसेफ ने “ग्लोबल आउटलुक 2025: प्रॉस्पेक्ट्स फॉर चिल्ड्रन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बच्चों के लिए डिजिटल सार्वजनिक सेवाएं उपलब्ध कराने में DPI की रूपांतरकारी भूमिका के बारे में बताया गया है।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर (DPI) क्या है?
- यह उन साझा डिजिटल प्रणालियों का एक समूह है, जो सामाजिक स्तर पर सार्वजनिक और/ या निजी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं।
- इसके इकोसिस्टम में प्रौद्योगिकी, बाजार और गवर्नेंस शामिल हैं।
बच्चों के कल्याण में DPI की भूमिका
- आवश्यक सेवाओं की समान उपलब्धता: उदाहरण के लिए, नागरिक पंजीकरण प्रणालियों से जुड़े डिजिटल पहचान-पत्र आवश्यक सेवाओं तक आजीवन पहुंच को सक्षम बनाते हैं।
- शिक्षा: उदाहरण के लिए शिक्षा में मौजूदा अंतराल को कम करने हेतु भारत का राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्म दीक्षा लॉन्च किया गया है।
- स्वास्थ्य: यह इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सुगम बनाता है। उदाहरण के लिए जमैका में इलेक्ट्रॉनिक इम्यूनाइजेशन रजिस्ट्री से बच्चों के टीकाकरण की दर में सुधार हुआ है।
- यह बच्चों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने में सक्षम बनाकर वित्तीय साक्षरता और समावेशन को बढ़ावा देता है।
- यह लाभों के लक्षित वितरण और बेहतर डेटा साझाकरण को सक्षम करके सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करता है, जिससे बच्चों के लिए बेहतर सेवाएं सुनिश्चित होती हैं।
DPI के उपयोग से जुड़ी चुनौतियां
- खराब कनेक्टिविटी और डिजिटल असमानता: उदाहरण के लिए- 15-24 वर्ष आयु वर्ग के केवल 43.6% भारतीय ग्रामीण युवा ही ईमेल भेज सकते हैं।
- राष्ट्रीय पहचान-पत्र में सिविल रजिस्ट्रेशन एंड वाइटल स्टेटिस्टिक्स (CRVS) प्रणालियों का खराब एकीकरण: यह सार्वभौमिक कवरेज में बाधा उत्पन्न करता है।
- अन्य: इसमें डेटा इंटरऑपरेबिलिटी और अलग-अलग प्रणालियों के बीच तालमेल की कमी; डेटा सुरक्षा, निगरानी और सुरक्षा संबंधी मुद्दे आदि शामिल हैं।
सिफारिशें
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शिक्षा मंत्रालय ने ‘स्कूली शिक्षा पर एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (UDISE+) 2023-24 रिपोर्ट’ जारी की।
- इस रिपोर्ट में पहली बार 2022-23 से UDISE+ के माध्यम से देश के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों से राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक छात्र का डेटा एकत्र किया गया है।
- UDISE+ रिपोर्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र:
- छात्र नामांकन: देश भर में स्कूल नामांकन में समग्र रूप से गिरावट दर्ज की गई है। 2022-23 में 25.18 करोड़ स्कूल नामांकन हुए थे। 2023-24 में गिरावट के साथ 24.8 करोड़ नामांकन हुए थे।
- यह 2018-19 से 2021-22 तक लगभग 1.55 करोड़ छात्रों (लगभग 6%) की गिरावट को दर्शाता है।
- ड्रॉपआउट (पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चे): बुनियादी स्तर पर (प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक) शून्य-ड्रॉपआउट दर दर्ज की गई है। ऐसा इस कारण, क्योंकि आंगनवाड़ी व स्टैंड अलोन प्री-प्राइमरी विद्यालयों के छात्रों को मान्यता प्राप्त विद्यालयों में सीधे कक्षा 1 में प्रवेश दे दिया जाता है।
- उच्चतम ड्रॉपआउट दर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से 12) पर दर्ज की गई है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में नामांकन में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
- प्रतिधारण दर (रिटेंशन रेट): प्रारंभिक (Elementary) स्तर पर अधिक देखी गई है।
- सकल नामांकन अनुपात (GER): माध्यमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों पर मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
- GER शिक्षा के एक विशिष्ट स्तर में नामांकन की तुलना उस आयु वर्ग की आबादी से करता है, जो शिक्षा के उस स्तर के लिए आयु उपयुक्त है।
- स्कूल संबंधी अवसंरचनाएं: असम, ओडिशा और कर्नाटक में छात्र-स्कूल अनुपात कम होने के कारण स्कूली अवसंरचनाओं का कम उपयोग हो रहा है।
UDISE+ के बारे में
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नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) ने एम्पॉहर बिज़- सपनों की उड़ान लॉन्च की है।
- WEP को 2018 में नीति आयोग में एक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म के रूप में इनक्यूबेट किया गया था। 2022 में यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी में परिवर्तित हो गया था।
एम्पॉहर बिज़ के बारे में
- उद्देश्य
- महिला उद्यमियों को आवश्यक कौशल और संसाधन प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना।
- यह महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों को खुदरा प्रबंधन, डिजिटल उपकरण, वित्तीय साक्षरता और व्यवसाय विकास पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा।