सुर्ख़ियों में क्यों?
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति 'भारत-इंडोनेशिया राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ' के उपलक्ष्य में भारत की यात्रा पर आए थे।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान प्रमुख घटनाक्रम
- भारत और इंडोनेशिया ने स्वास्थ्य-देखभाल सहयोग, पारंपरिक चिकित्सा, समुद्री सुरक्षा, डिजिटल विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (2025-2028) से संबंधित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
- तीसरे भारत-इंडोनेशिया CEO फोरम में इसके सह-अध्यक्षों द्वारा एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
- इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भी शामिल हुए।
- दोनों देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया। इसमें सहयोग के अलग-अलग क्षेत्रकों को रेखांकित किया गया है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का महत्त्व
पारस्परिक लाभ

- आर्थिक संबंध: भारत-इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय संवाद (Economic and Financial Dialogue: EFD) 2023 का उद्देश्य सहयोग को मजबूत करना और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है।
- समुद्री सुरक्षा: महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु क्षेत्रीय व्यवस्थाओं के साथ सहभागिता के माध्यम से सहयोग बढ़ाया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए, मलक्का और सिंगापुर स्ट्रेट में नौवहन की सुरक्षा (Safety of Navigation in the Straits of Malacca and Singapore: SOMS)।
- डिफेंस एवं सुरक्षा:
- रक्षा बलों के बीच सामरिक और ऑपरेशनल संपर्क: भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्ती (India–Indonesia Coordinated Patrol: CORPAT), थल सेना अभ्यास गरुड़ शक्ति, और नौसेना अभ्यास समुद्र शक्ति जैसे कार्यक्रम द्विपक्षीय सैन्य सहयोग के प्रमुख उदाहरण हैं। इसके अलावा, दोनों देश मिलन, कोमोडो, तरंग शक्ति और सुपर गरुड़ शील्ड जैसे बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं
- रक्षा स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण क्षमताओं का विकास करना: उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल की प्रौद्योगिकी देने पर वार्ता जारी है।
- बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार: दोनों देश संयुक्त राष्ट्र और G-20 जैसे बहुपक्षीय फ़ोरम्स पर सहयोग करते हैं। साथ ही, दोनों देश बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार का समर्थन भी करते हैं।
- क्षेत्रीय साझेदार: इंडोनेशिया हाल ही में ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बन गया है। इसके अलावा दोनों देश हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association: IORA), इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI), प्रशांत द्वीप समूह फोरम (Pacific Islands Forum: PIF) जैसे मंचों में शामिल हैं।
- अवसंरचना और कनेक्टिविटी: उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया-मलेशिया-थाईलैंड ग्रोथ ट्राएंगल (IMT-GT) के साथ भारत की विकास साझेदारी बढ़ रही है।
- सांस्कृतिक और विरासत के क्षेत्र में सहयोग: उदाहरण के लिए, 2025-2028 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम की घोषणा की गई है। वहीं, ओडिशा (भारत) और बाली (इंडोनेशिया) के बीच ऐतिहासिक समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाला वार्षिक महोत्सव 'बाली यात्रा' इसका प्रतीक है।
- समान हितों के अन्य क्षेत्र:
- दोनों देश सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हैं।
- दोनों देश डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), साइबर सुरक्षा आदि में सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत के लिए महत्त्व
- व्यापार: इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। प्रथम स्थान पर सिंगापुर है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2005-06 के 4.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 29.40 बिलियन डॉलर हो गया।
- भू-रणनीतिक महत्त्व: भारत, 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास' (Security and Growth for All in the Region: SAGAR) पहल के अनुरूप, इंडोनेशिया के आचेह में सबांग बंदरगाह के विकास में सहायता प्रदान कर रहा है।
- यह सहयोग समुद्री कनेक्टिविटी को बढ़ाता है, साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-रणनीतिक लाभ प्रदान करके चीन के बढ़ते प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने मदद करता है।
- सबांग बंदरगाह से भारत को मलक्का जलडमरूमध्य तक आसानी से प्रवेश मिल जाएगी। वहां से अंडमान एवं निकोबार तक भी कनेक्टिविटी स्थापित करने का प्रस्ताव है।
- रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण: स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (Local Currency Settlement Systems: LCSS) पर समझौता ज्ञापन (2024) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग के जरिये वित्तीय एकीकरण करना है।
- स्वास्थ्य-देखभाल और फार्मास्यूटिकल्स: डिजिटल हेल्थ पहलों पर दोनों देशों की सर्वोत्तम पद्धतियों (बेस्ट प्रैक्टिसेज) को साझा करने से स्वास्थ्य-देखभाल पेशेवरों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में वृद्धि होगी।
इंडोनेशिया के लिए महत्त्व
- भारत जैसा विशाल बाजार का लाभ मिलना: भारत, इंडोनेशिया के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार है। भारत, इंडोनेशिया के कोयला और कच्चे पाम आयल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
- निवेश: भारतीय कंपनियों ने इंडोनेशिया में अवसंरचना विकास, बिजली, वस्त्र, इस्पात, ऑटोमोटिव जैसी क्षेत्रकों में अधिक निवेश किया है।
- उदाहरण के लिए, भारत की GMR एयरपोर्ट्स लिमिटेड इंडोनेशिया के मेडान में कुआलानामु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास और संचालन करेगी।
- जलवायु परिवर्तन और आपदा से निपटना: भारत ने भूकंप, सुनामी जैसी विपदाओं के समय मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के तहत इंडोनेशिया को सहायता प्रदान की है।
- इंडोनेशिया भारत के नेतृत्व वाले आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure: CDRI) में शामिल हो गया है।
- खाद्य सुरक्षा: भारत ने अपने ज्ञान और अनुभव के माध्यम से इंडोनेशिया की नई मिड-डे मील स्कीम के क्रियान्वयन में सहयोग कर रहा है।
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग: सैटेलाइट और प्रक्षेपण-यानों के लिए एकीकृत बियाक टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड (TTC) सुविधाओं पर इसरो और इंडोनेशियाई अंतरिक्ष एजेंसी (BRIN) के बीच 2024 में सहयोग समझौता हुआ।
- शिक्षा और कौशल विकास: भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (Indian Technical and Economic Cooperation: ITEC) कार्यक्रम के तहत इंडोनेशियाई पेशेवरों के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है; आसियान-भारत विश्वविद्यालय नेटवर्क (AINU) के तहत सहयोग किया जा रहा है; आदि।
चुनौतियां
- व्यापार क्षमता का पूरा उपयोग नहीं: भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार क्षमता 61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। हालांकि वर्तमान में इस क्षमता का केवल 33% व्यापार किया जा रहा है।
- उच्च टैरिफ, नॉन-टैरिफ बाधाएं तथा FTA (भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता) का कम उपयोग द्विपक्षीय व्यापार के समक्ष प्रमुख बाधाएं हैं।
- 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 29.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। यह 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में बहुत कम है।
- चीन का बढ़ता प्रभाव: इंडोनेशिया के विकास में चीन की प्रमुख भूमिका है। इंडोनेशिया ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन से भारी निवेश स्वीकार किया है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
- सामरिक परियोजनाओं की धीमी प्रगति: इंडोनेशिया द्वारा ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद, सबांग बंदरगाह का विकास जैसी सामरिक परियोजनाओं में कई आर्थिक और भू-राजनीतिक वजहों से प्रगति धीमी रही है।
- कनेक्टिविटी का अभाव: सीमित डायरेक्ट एयर कनेक्टिविटी, वीजा संबंधी समस्याएं दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क में बाधा बनी हुई हैं।
आगे की राह
- सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता: भारत और इंडोनेशिया को "आसियान प्लस" नीति बनाकर चीन के प्रभाव से आगे बढ़ते हुए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, 'हिंद-प्रशांत पर आसियान का दृष्टिकोण (ASEAN's Outlook on the Indo-Pacific: AOIP)' को 'भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) के अनुरूप रखकर इंडोनेशिया ने IPOI के तहत समुद्री संसाधन पिलर का समर्थन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- व्यापार के क्षेत्र में सुधार: दोनों देशों के बीच आर्थिक एकीकरण बढ़ाने के लिए FTA को व्यावहारिक बनाने, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement: CEPA) पर शीघ्र आम सहमति बनाने जैसे उपायों को बढ़ावा दिया चाहिए।
- क्षेत्रीय सहयोग का लाभ उठाना: दोनों देशों को आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), ब्रिक्स, IPOI जैसे फ़ोरम्स पर अधिक सक्रियता से सहयोग करना चाहिए।
- भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लक्ष्य को साकार करने के लिए इंडोनेशिया को बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक/BIMSTEC) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।
- ग्लोबल साउथ में सहयोग: दोनों देशों को साउथ-साउथ कोऑपरेशन के माध्यम से ग्लोबल साउथ के महत्त्व के विषयों पर मिलकर काम करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया भारत को प्रशांत द्वीपीय देशों से जोड़ने वाले सेतु का कार्य करता है।
- मिनीलैटरल का विकास करना: भारत-इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया जैसी त्रिपक्षीय साझेदारी की तरह मिनीलैटरल को सहयोग हेतु केंद्रित क्षेत्रों पर कार्य करने के लिए बढ़ावा दिया जा सकता है।
- दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध: सांस्कृतिक आदान-प्रदान; शिक्षा और रोजगार तथा पर्यटन के अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष घोषित किया गया है।