सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तटीय सुरक्षा योजना (CSS) के कार्यान्वयन की समीक्षा के दौरान इसमें मौजूद कई कमियों को रेखांकित किया है।
तटीय सुरक्षा योजना (COASTAL SECURITY SCHEME: CSS) के बारे में
- यह योजना केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 2005 में तैयार की थी।
- उद्देश्य: तटीय क्षेत्रों, विशेषकर तट के निकट उथले पानी में गश्त लगाने और निगरानी करने के लिए तटीय पुलिस की अवसंरचना को मजबूत करना।
- योजना के चरण
- चरण-I (2005-2011): तटीय राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अनुमानित आवश्यकताओं के आधार पर अवसंरचना स्थापित करना।
- सरकार ने सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 73 तटीय पुलिस स्टेशन (Coastal Police Stations: CPS), 97 चेक पोस्ट, 58 चौकियां और 30 ऑपरेशनल बैरक स्थापित करने में सहायता प्रदान की है।
- चरण- II (2011-2020): तटीय राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा खतरों/ कमियों के विश्लेषण के आधार पर तटीय सुरक्षा अवसंरचना को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त आवश्यकताओं का अनुमान लगाया गया।
- चरण-III: वर्तमान में केंद्र सरकार इस चरण की प्रक्रिया तैयार कर रही है।
- चरण-I (2005-2011): तटीय राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अनुमानित आवश्यकताओं के आधार पर अवसंरचना स्थापित करना।

भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र के समक्ष चुनौतियां
- स्थलाकृति और भौगोलिक अवस्थिति: भारत की तटरेखा 7,516 किलोमीटर लंबी है। इनमें कई नदीमुख (क्रीक) और नदिकाएँ (रीवूलेट्स) शामिल हैं। ये चोरी-छिपे भारत में घुसपैठ और समुद्री मार्ग से आतंकवादियों का भारत में प्रवेश आसान बनाती हैं।
- उदाहरण के लिए- गुजरात के कच्छ जिले में सर क्रीक क्षेत्र में हरामी नाला (Harami Nala) भारत से निकलता है और पाकिस्तान में प्रवेश करता है। घुसपैठियों और तस्करों द्वारा इस मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है।
- भारतीय तटरक्षक बल (ICG) में कार्यबल की कमी: भर्ती में देरी और चयन की कठिन प्रक्रिया के कारण कार्यबल की कमी बनी हुई है। इसके अलावा, कार्यबल में ऑपरेशनल क्षमता की भी कमी देखी गई है।
- प्रशिक्षण की कमी: तटीय गश्त और समुद्री युद्ध अभियानों में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी से मरीन पुलिस और सीमा शुल्क विभाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
- अवसंरचना की कमी: उदाहरण के लिए, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे तटीय राज्यों में अधिक कार्यालयों, हथियारों, नावों और जहाजों की कमी के कारण तटीय सुरक्षा प्रभावित होती है।
- नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा कि नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद गठित तटीय सुरक्षा बल के पास अभी भी पूर्ण अवसंरचना उपलब्ध नहीं है।
- व्यवस्था में खामियां: तटीय एजेंसियों के बीच और इनका राज्य एजेंसियों के साथ अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद और समन्वय की कमी तथा, कानून एवं प्रक्रियाओं का नहीं होना, सरकारी उदासीनता जैसी खामियां मौजूद हैं।
- मछुआरों के नौकाओं की निगरानी: भारतीय जलक्षेत्र में 300,000 से अधिक पंजीकृत मछुआरे सक्रिय हैं। ऐसे में मछली पकड़ने वाली पंजीकृत नौकाओं और अवैध गतिविधियों में संलिप्त नौकाओं के बीच अंतर कर पाना बड़ी चुनौती साबित होती है।
- उदाहरण के लिए- मुंबई में 1993 में हुए लगातार बम धमाकों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों को मछुआरों की नौकाओं से महाराष्ट्र के रायगढ़ तट पर लाया गया था।
तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
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निष्कर्ष
तटीय सुरक्षा की बढ़ती चिंताओं को देखते हुए सरकार को मौजूदा तटीय सुरक्षा प्रणाली में मौजूद कमियों को दूर करना होगा। समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सुरक्षा पहलों को जारी रखने, नए कर्मियों की भर्ती करने और भारतीय तटरक्षक बल (ICG), भारतीय नौसेना और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, निगरानी और सतर्कता के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा सकता है तथा कर्मियों के प्रशिक्षण के स्तर और गुणवत्ता को भी मजबूत किया जा सकता है।