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इंटरनेट शटडाउन (INTERNET SHUTDOWN)

05 Mar 2025
30 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले इंटरनेट शटडाउन ट्रैकर के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2024 में 60 बार मोबाइल इंटरनेट शटडाउन हुआ। यह आंकड़ा पिछले 8 वर्षों में सबसे कम है।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • इंटरनेट शटडाउन ट्रैकर के अनुसार, 2024 में मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में कम इंटरनेट शटडाउन लगाए जाने के कारण इस आंकड़े में कमी आई है। 2023 में यह संख्या 96 थी। 

भारत में इंटरनेट शटडाउन के प्रावधान

  • दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973: 2017 तक, इंटरनेट शटडाउन मुख्य रूप से पूर्ववर्ती CrPC की धारा 144 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163) के तहत लागू किए जाते थे।
    • CrPC की धारा 144 में जिला मजिस्ट्रेट को गैर-कानूनी सभा को रोकने और किसी भी व्यक्ति को किसी निश्चित गतिविधि से दूर रहने का निर्देश देने की शक्तियां प्रदान की गई थीं।
  • भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 (2017 में संशोधित): यह दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) 2017 नियमों के तहत 15 दिनों तक इंटरनेट बंद करने की अनुमति देता है।
    • शटडाउन के लिए आधार: इस तरह के शटडाउन आदेश 'पब्लिक इमरजेंसी' या 'सार्वजनिक सुरक्षा' के आधार पर जारी किए जा सकते हैं। 
      • हालांकि, इस अधिनियम या नियम के तहत पब्लिक इमरजेंसी और सार्वजनिक सुरक्षा को परिभाषित नहीं किया गया है।
    • आदेश जारी करने वाला प्राधिकारी: इस प्रकार के आदेश केवल संघ/ राज्य के गृह सचिव द्वारा जारी किए जा सकते हैं। 
    • आदेश की समीक्षा: इन आदेशों की समीक्षा के लिए 5 दिनों के भीतर राष्ट्रीय/ राज्य स्तर पर कैबिनेट सचिव/ मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समीक्षा समिति का गठन किया जाना चाहिए।
  • अनुच्छेद 19 (2): यह सरकार को राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था आदि के लिए वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।

इंटरनेट शटडाउन के पक्ष में तर्क

  • राष्ट्रीय सुरक्षा और उग्रवाद को रोकने के लिए: उदाहरण के लिए, जम्मू और कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अलगाववादी प्रचार और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए कई बार इंटरनेट शटडाउन को लागू किया गया।
  • सांप्रदायिक हिंसा और नृजातीय संघर्षों पर रोक लगाना: उदाहरण के लिए, 2023 में, नृजातीय संघर्षों के बाद मणिपुर में आगे की हिंसा को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था।
    • इसी प्रकार, वर्ष 2023 में हरियाणा के कुछ हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के प्रतिक्रिया स्वरूप राज्य के कुछ जिलों में शटडाउन लागू किया गया।
  • गलत सूचना, हेट स्पीच और फेक न्यूज पर रोक लगाना: उदाहरण के लिए, 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान, सोशल मीडिया पर गलत सूचना और हेट स्पीच के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट शटडाउन लगाया गया था।
  • कानून और व्यवस्था बनाए रखना: उदाहरण के लिए, CAA और कृषि बिल के विरोध प्रदर्शन के दौरान, प्रदर्शन स्थलों के पास लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था।
  • परीक्षाओं में धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए: उदाहरण के लिए, राजस्थान में, राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET), 2021 परीक्षा में ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए राज्यव्यापी इंटरनेट बंद लागू किया गया था।

इंटरनेट शटडाउन के विपक्ष में तर्क

  • आर्थिक प्रभाव: एक्सेस नाउ की इंटरनेट शटडाउन रिपोर्ट के अनुसार, शटडाउन की वजह से भारत को 2023 की पहली छमाही में लगभग 2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
    • 2020 में, इंटरनेट निलंबन के 129 अलग-अलग मामलों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 2.8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जिससे 10.3 मिलियन लोग प्रभावित हुए। 
    • बेरोजगारी: इंटरनेट सोसाइटी'ज नेटलॉस कैलकुलेटर के अनुसार, एक दिन का शटडाउन भारत में 379 लोगों को बेरोजगार कर सकता है।
  • महिलाओं पर प्रभाव और मानवाधिकारों का हनन: इंटरनेट बंद होने से महिलाओं के लिए हत्या, बलात्कार और हिंसा जैसे अपराधों की रिपोर्ट करना कठिन हो जाता है, जिससे न्याय तक उनकी पहुंच में बाधा उत्पन्न होती है।
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: इंटरनेट शटडाउन सूचना तक पहुंच को प्रतिबंधित करता है तथा डिजिटल स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को सीमित करता है। इससे वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) और सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रतिबंधित होता है।
  • मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता पर समझौता: उदाहरण के लिए, 2019 में, जम्मू और कश्मीर में पत्रकारों को इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के कारण रिपोर्टिंग में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। समाचार पत्रों को अपने कार्यालय बंद करने पड़े या स्थानांतरित करने पड़े।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में व्यवधान: इंटरनेट शटडाउन से ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, आपातकालीन सेवाएं, आदि बाधित होती हैं।

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें (रिपोर्ट: 'दूरसंचार सेवाओं/ इंटरनेट का निलंबन और इसका प्रभाव', 2021)

  • सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों को अपनाना: दूरसंचार विभाग (DoT) को अन्य लोकतांत्रिक देशों में इंटरनेट शटडाउन नियमों का विश्लेषण करने के लिए एक अध्ययन करना चाहिए। साथ ही भारत के विशिष्ट संदर्भ के अनुरूप सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों को अपनाना चाहिए।
  • निलंबन के आधार: इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के आधार से संबंधित परिभाषित मापदंडों को संहिताबद्ध करना चाहिए। इंटरनेट शटडाउन की आवश्यकता को तय करने के लिए भी मापदंडों को निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • आनुपातिकता का सिद्धांत (Principles of proportionality): दूरसंचार विभाग को गृह मंत्रालय (MHA) के साथ समन्वय में आनुपातिकता के स्पष्ट सिद्धांत और शटडाउन हटाने की प्रक्रिया निर्धारित करनी चाहिए ताकि इसे अनिश्चित काल तक न बढ़ाया जाए।
  • समावेशी समीक्षा समिति: सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सार्वजनिक सदस्यों आदि को शामिल करके तीन सदस्यीय समीक्षा समिति को अधिक समावेशी बनाना चाहिए।
  • सेवाओं पर चुनिंदा प्रतिबंध: दूरसंचार विभाग को संपूर्ण इंटरनेट प्रतिबंध लगाने के बजाय, न्यूनतम जन असुविधा सुनिश्चित करने और गलत सूचना पर नियंत्रण के लिए कुछ सेवाओं के उपयोग पर सीमित प्रतिबंध लगाने की नीति तैयार करनी चाहिए।
  • इंटरनेट शटडाउन की प्रभावशीलता: सार्वजनिक सुरक्षा और आपात स्थितियों से निपटने में इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव और उसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय द्वारा किया जाना चाहिए।
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