सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (Defence Research and Development Laboratory: DRDL) ने भारत में पहली बार एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कंबस्टर का 120 सेकंड का ग्राउंड टेस्ट सफलतापूर्वक संपन्न किया।

अन्य संबंधित तथ्य
- इसमें DRDL और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित स्वदेशी एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन का उपयोग किया गया है। DRDL, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence
- Research and Development Organisation: DRDO) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला है।
- एंडोथर्मिक ईंधन रासायनिक अभिक्रिया से गुजरने के दौरान अपने आस-पास से ऊष्मा को अवशोषित करता है।
- यह शीतलन संबंधी सुधार और प्रज्वलन में आसानी जैसे लाभ प्रदान करता है।
- अत्याधुनिक सिरेमिक थर्मल बैरियर कोटिंग (TBC) का विकास भी इसमें एक अन्य प्रमुख उपलब्धि है। इसे हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान अत्यधिक तापमान का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- सिरेमिक TBC में उच्च तापीय प्रतिरोध होता है तथा यह स्टील के गलनांक से अधिक तापमान पर भी कार्य करने में सक्षम होता है।
- इसे DRDL और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) प्रयोगशाला द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- यह परीक्षण अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- भारत वस्तुतः अमेरिका, रूस, चीन जैसे राष्ट्रों में शामिल हो गया है, जिन्होंने स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
स्क्रैमजेट इंजन के बारे में
- स्क्रैमजेट इंजन का आशय सुपरसोनिक कम्बस्टिंग रैमजेट इंजन है।

- यह रैमजेट इंजन की तुलना में एक उन्नत संस्करण है, क्योंकि यह हाइपरसोनिक गति पर कुशलतापूर्वक संचालित होता है और 'सुपरसोनिक कंबस्टन' (supersonic combustion) को संभव बनाता है।
- रैमजेट एक प्रकार का एयर-ब्रीथिंग जेट इंजन है, जो अपनी गति का उपयोग करके हवा को संपीडित करता है, ताकि इसे दहन (Combustion) में इस्तेमाल किया जा सके। इस इंजन में कोई रोटेटिंग कंप्रेसर नहीं होता है।
- डुअल मोड रैमजेट (DMRJ) भी एयर-ब्रीथिंग इंजन का एक प्रकार है।
- इसकी प्रमुख विशेषताओं पर एक नज़र:
- फ्लेम स्टेबलाइजेशन तकनीक का उपयोग: यह तकनीक दहन कक्ष यानी कंबस्टर (Combustor) के अंदर हवा की तेज गति (1.5 किमी/सेकंड से अधिक) के बावजूद लगातार फ्लेम को बनाए रखती है।
- इस तकनीक में प्रज्वलन को सक्षम करना 'तूफान में मोमबत्ती को जलाए रखने' जैसा ही है।
- असिस्टेड टेक-ऑफ़ पर निर्भर: रैमजेट और स्क्रैमजेट दोनों ही शून्य वायु गति पर थ्रस्ट उत्पन्न नहीं कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे स्थिर अवस्था वाले अंतरिक्ष यान को गति नहीं दे सकते हैं।
- इसलिए, स्क्रैमजेट-चालित यान को रॉकेट की सहायता से उड़ान भरने की आवश्यकता होती है, ताकि वह उस गति तक पहुंच सके, जहां वह थ्रस्ट उत्पन्न करना शुरू कर दे।
- फ्लेम स्टेबलाइजेशन तकनीक का उपयोग: यह तकनीक दहन कक्ष यानी कंबस्टर (Combustor) के अंदर हवा की तेज गति (1.5 किमी/सेकंड से अधिक) के बावजूद लगातार फ्लेम को बनाए रखती है।
स्क्रैमजेट इंजन कैसे काम करता है?![]()
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स्क्रैमजेट प्रौद्योगिकी के लाभ

- बेहतर कार्यकुशलता: इसकी प्रणोदन प्रणाली रॉकेट की तुलना में अधिक दक्ष है।
- रॉकेट इंजन में ईंधन और ऑक्सिडाइजर दोनों को ले जाना होता है, जबकि जेट इंजन दहन के लिए वायुमंडलीय ऑक्सीजन पर निर्भर करता है।
- प्रक्षेपण यानों में प्रयुक्त प्रणोदक (ईंधन- ऑक्सिडाइजर) का लगभग 70% हिस्सा ऑक्सिडाइजर होता है।
- किफायती अंतरिक्ष अन्वेषण: इससे अंतरिक्ष मिशनों की लागत कम हो जाएगी, क्योंकि जेट इंजन पुनः उपयोग योग्य होते हैं।
- स्क्रैमजेट इंजन द्वारा संचालित रॉकेट भारी उपग्रहों को भी ले जाने में सक्षम होंगे।
- इसरो के अवतार (AVATAR) नामक प्रोजेक्ट का उद्देश्य रैमजेट और स्क्रैमजेट को लॉन्च करने वाले रॉकेट विकसित करना है।
- उच्चतर गति: यह मैक 6 और उससे अधिक गति तक पहुंचने में सक्षम है।
- निवारक शक्ति में वृद्धि: इससे हाइपरसोनिक मिसाइलों और टोही विमानों का विकास संभव होगा।

निष्कर्ष
तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, स्क्रैमजेट (Scramjet) तकनीक रक्षा और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए अपार संभावनाएं रखती है। यह निवारक शक्ति (Deterrence) को बढ़ाने और अंतरिक्ष तक पहुँच की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसकी पूर्ण क्षमता को साकार करने के लिए निरंतर अनुसंधान और नवाचार आवश्यक है।